Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था में हो सकती है 12 से 15% की गिरावट, दो रेटिंग एजेंसियों के चिंताजनक अनुमान

Economy - भारतीय अर्थव्यवस्था में हो सकती है 12 से 15% की गिरावट, दो रेटिंग एजेंसियों के चिंताजनक अनुमान
| Updated on: 09-Sep-2020 09:14 AM IST
Delhi: फिच के बाद अब दो और रेटिंग एजेंसियों गोल्डमैन सैक्श और इंडिया रेटिंग्स ने भारत के नीति-नियंताओं के लिए चिंता बढ़ा दी है। दोनों रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत की जीडीपी में करीब 12 से 15 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है।  गौरतलब है कि इसके पहले रेटिंग एजेंसी फिच ने यह अनुमान जारी किया था कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष में 10.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष की पहली यानी जून तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की जबरदस्त गिरावट आई है। 


क्या कहा गोल्डमैन सैक्श ने 

इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमन सैक्श (Goldman Sachs) ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14.8 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है। इसके पहले Goldman Sachs ने 11.8 फीसदी का अनुमान जारी किया था। 

Goldman Sachs ने एक रिसर्च नोट में कहा, 'जून तिमाही के जीडीपी आंकड़ों को देखते हुए हम भारत के जीडीपी अनुमान में बड़ा बदलाव कर रहे हैं। हमारा अनुमान है कि इस कैलेंडर वर्ष 2020 में जीडीपी में 11.1 फीसदी और वित्त वर्ष 2020-21 में 14.8 फीसदी की गिरावट आ सकती है।' 


क्या है इंडिया रेटिंग का अनुमान 

 इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च (Ind-Ra) ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 11।8 फीसदी की गिरावट का अनुमान जारी किया है। 

हालांकि इस स्वदेशी रेटिंग एजेंसी का अनुमान है ​कि वित्त वर्ष 2021-22 में अर्थव्यवस्था फिर पटरी पर आएगी और उसमें 9।9 फीसदी की अच्छी बढ़त हो सकती है। एजेंसी के अनुसार चीन की जीडीपी इस साल बढ़ेगी और उसकी आर्थिक वृद्धि दर 2।7 तक रह सकती है। 


क्या ​था फिच आजतक का अनुमान 

इसके पहले रेटिंग एजेंसी फिच ने अनुमान लगाया था कि इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10।5 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है। यानी जीडीपी ग्रो​थ माइनस 10।5 फीसदी हो सकती है। गौरतलब है कि कोरोना संकट की वजह से देश की जून तिमाही की ​जीडीपी में 23।9 फीसदी की गिरावट आई है।

फिच ने कहा, 'अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने के बाद अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही में जीडीपी में मजबूत सुधार होना चाहिए, लेकिन संकेत तो इस बात के दिख रहे हैं कि सुधार की गति धीमी और असमान होगी।'


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