Indian Wines: विदेशी बाजारों में भारतीय फलों की वाइन का जलवा, आम और सेब की ड्रिंक्स ने मचाई धूम
Indian Wines - विदेशी बाजारों में भारतीय फलों की वाइन का जलवा, आम और सेब की ड्रिंक्स ने मचाई धूम
भारतीय वाइन उद्योग एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां अब वाइन की पहचान केवल अंगूर तक सीमित नहीं रही है और विभिन्न भारतीय फलों से तैयार की गई वाइन, विशेष रूप से बिना अंगूर वाली वाइन, धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी एक अलग और विशिष्ट पहचान बना रही हैं. घरेलू बाजार में बिक्री की गति थोड़ी धीमी होने के कारण, भारतीय वाइन निर्माता अब अपना ध्यान वैश्विक मंचों की ओर केंद्रित कर रहे हैं, जहां 'मेड इन इंडिया' वाइन को एक नया स्वाद और एक नई पहचान मिल रही है और यह बदलाव न केवल एक व्यावसायिक रणनीति है, बल्कि भारत की समृद्ध कृषि विविधता का भी प्रमाण है, जिसे अब बोतलों में भरकर दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है.
निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि: वैश्विक स्वीकृति का संकेत
ईटी (ET) की एक रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार अनुसंधान संस्था जीटीआरआई (GTRI) ने बताया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में भारत से वाइन का निर्यात बढ़कर लगभग 6. 7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में दोगुने से भी अधिक है, जो भारतीय वाइन की बढ़ती वैश्विक मांग को दर्शाता है. हालांकि, निर्यात में अभी भी अंगूर से बनी वाइन का दबदबा कायम है, लेकिन उद्योग से जुड़े लोगों का. कहना है कि अब विदेशी ग्राहक भारतीय फलों से बनी वाइन में भी तेजी से दिलचस्पी दिखा रहे हैं. यह प्रवृत्ति वैश्विक उपभोक्ताओं की बदलती पसंद और पारंपरिक वाइन से परे नए स्वादों को आज़माने की उनकी इच्छा को दर्शाती है.आम, सेब और जामुन की वाइन का बढ़ता क्रेज
अंगूर के अलावा, भारतीय फलों की एक विस्तृत श्रृंखला से बनी वाइन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही है. कश्मीरी सेब और अल्फांसो आम से बनी वाइन, साथ ही अद्वितीय जामुन वाइन, पहले ही विदेशों में अपनी जगह बना चुकी हैं और उदाहरण के लिए, पुणे की एक वाइनरी यूनाइटेड किंगडम को आम से बनी वाइन का निर्यात कर रही है, जो भारत के प्रिय 'फलों के राजा' की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करती है. इसी तरह, कश्मीरी सेब से बनी क्राफ्ट साइडर (Craft Cider) ब्रिटेन के कुछ चुनिंदा बाजारों में उपलब्ध है. इन सफल प्रयासों ने स्पष्ट रूप से साबित कर दिया है कि भारतीय फलों की विशाल विविधता वाइन उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान कर सकती है, जो साहसी अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं के साथ मेल खाने वाले अद्वितीय स्वाद प्रोफाइल पेश करती है.जामुन वाइन की ऐतिहासिक अमेरिकी यात्रा
भारतीय वाइन उद्योग के लिए हाल ही में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई, जब मुंबई से अमेरिका के लिए लगभग 800 केस वाइन की एक विशेष खेप भेजी गई. इस खेप में जामुन से बनी भारतीय वाइन शामिल थी, जिसने पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश किया है. महाराष्ट्र के नासिक क्षेत्र में स्थित सेवन पीक्स वाइनरी (Seven Peaks Winery) में बनी यह विशिष्ट जामुन वाइन अब न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के चुनिंदा रेस्टोरेंट्स में परोसी जाएगी. जामुन जैसे एक आम लेकिन विशिष्ट भारतीय फल से बनी वाइन को विदेशी ग्राहकों तक सफलतापूर्वक पहुंचाना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जो भारत के अद्वितीय कृषि उत्पादों की वैश्विक पहचान बनाने की क्षमता को रेखांकित करती है.विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग के कारण
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी बाजारों में भारतीय फलों की वाइन की बढ़ती मांग के कई प्रमुख कारण हैं. अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और ग्राहक हमेशा नए स्वादों और अद्वितीय पाक अनुभवों को आज़माने के लिए उत्सुक रहते हैं और यह साहसिक भावना विशेष रूप से यूएई (UAE), अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में स्पष्ट है, जहां भारतीय वाइन की मांग लगातार बढ़ रही है. हालांकि, उच्च करों और शुल्कों के कारण कीमतें एक चुनौती बनी रहती हैं, फिर भी यह सौदा वाइन निर्माताओं और आयातकों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है और विशिष्ट, विदेशी स्वादों का आकर्षण अक्सर अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के एक वर्ग के लिए मूल्य संबंधी विचारों से अधिक महत्वपूर्ण होता है.भारत में वाइन बाजार और चुनौतियां
अंतरराष्ट्रीय सफलता के बावजूद, भारत में वाइन उत्पादन अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसकी शुरुआत लगभग तीन दशक पहले हुई थी. देश का वाइन बाजार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस बाजार का एक बड़ा हिस्सा अभी भी आयातित वाइन का है. इसके अलावा, उत्तर-पूर्व जैसे क्षेत्रों से पारंपरिक वाइन, जैसे कि कीवी और चावल से बनी वाइन को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पेश करने के प्रयासों को काफी बाधाओं का सामना करना पड़ा है. एक प्राथमिक चुनौती निरंतर समर्थन और सब्सिडी की कमी रही. है, जिसने स्थायी निर्यात प्रयासों को मुश्किल बना दिया है. इन घरेलू चुनौतियों का समाधान करना और पर्याप्त सहायता प्रदान करना भारत के. विविध वाइन उद्योग की पूरी क्षमता को और अधिक उजागर कर सकता है.