Asia Cup 2025: एशिया कप में भारत-पाक मैच... इन क्रिकेटर ने नहीं खेलने के इरादे जताए

Asia Cup 2025 - एशिया कप में भारत-पाक मैच... इन क्रिकेटर ने नहीं खेलने के इरादे जताए
| Updated on: 19-Aug-2025 08:40 AM IST

Asia Cup 2025: एशिया कप 2025 का आगाज 9 सितंबर से होने जा रहा है, और क्रिकेट प्रेमियों की नजरें 14 सितंबर को होने वाले भारत-पाकिस्तान मुकाबले पर टिकी हैं। यह मुकाबला हमेशा से ही क्रिकेट जगत का सबसे रोमांचक और चर्चित मुकाबला रहा है। लेकिन इस बार, इस मैच से पहले विवादों की आंधी चल रही है। कई पूर्व क्रिकेटरों और हस्तियों ने इस मुकाबले के बहिष्कार की मांग उठाई है, जिससे माहौल गरमाया हुआ है।

केदार जाधव का ताजा बयान

भारतीय क्रिकेटर और बीजेपी नेता केदार जाधव ने हाल ही में एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के खेलने का विरोध किया है। सलमान खान के प्रशंसक के रूप में मशहूर जाधव ने कहा, "भारतीय टीम को पाकिस्तान के साथ खेलने से किनारा कर लेना चाहिए। मैं चाहता हूं कि भारत जहां भी खेले, वहां जीते, लेकिन यह मुकाबला नहीं होना चाहिए।" उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए इसे एक सफल मिशन बताया और अपनी बात को और मजबूती दी।

हरभजन सिंह और मोहम्मद अजहरुद्दीन भी कर चुके हैं विरोध

केदार जाधव अकेले नहीं हैं जिन्होंने इस मुकाबले का विरोध किया है। पूर्व भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने भी पहले इस मुद्दे पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा था, "क्रिकेट बाद में है, देश और उसके वीर जवान पहले।" हरभजन वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लेजेंड्स में भी उस भारतीय टीम का हिस्सा थे, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया था।

इसी तरह, भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी पाकिस्तान के साथ खेलने से मना किया था। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह फैसला क्रिकेट बोर्ड पर निर्भर करता है।

पाकिस्तानी क्रिकेटर बासित अली की अलग चिंता

दूसरी ओर, पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर बासित अली ने भी भारत-पाकिस्तान मुकाबले के ना होने की बात कही, लेकिन उनकी वजह अलग थी। बासित अली ने मजाकिया अंदाज में कहा, "मौजूदा हालात में अगर यह मुकाबला हुआ, तो भारत पाकिस्तान को खूब मारेगा।" उनकी यह टिप्पणी हल्के-फुल्के अंदाज में थी, लेकिन यह इस मुकाबले की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

क्या है विवाद की जड़?

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मुकाबले हमेशा से ही सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहे। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव और ऐतिहासिक मुद्दों ने इन मुकाबलों को और जटिल बना दिया है। कई खिलाड़ियों और प्रशंसकों का मानना है कि जब तक दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं होते, तब तक क्रिकेट जैसे मंच पर इन मुलाकातों से बचा जाना चाहिए। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे खेल की भावना के तहत देखते हैं और मानते हैं कि क्रिकेट दोनों देशों के बीच दोस्ती का पुल बन सकता है।

बोर्ड का रुख क्या होगा?

अब सबकी नजरें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) पर टिकी हैं। क्या भारत इस मुकाबले में हिस्सा लेगा, या फिर विरोध की आवाजों को देखते हुए कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।

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