अर्थव्यवस्था: अब तक के उच्चतम स्तर 10.49% पर पहुंची भारत की थोक महंगाई दर

अर्थव्यवस्था - अब तक के उच्चतम स्तर 10.49% पर पहुंची भारत की थोक महंगाई दर
| Updated on: 17-May-2021 04:36 PM IST
नई दिल्ली: लगता है कोरोना काल में महंगाई आम आदमी की कमर सीधी नहीं होने देगी। पेट्रोल-डीजल और घरेलू एलपीजी की कीमतों ने पहले से ही लोगों को सड़क से किचन तक परेशान कर रखा है, वहीं थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में सर्वकालिक उच्च स्तर 10.49 फीसद पर पहुंच गई। सोमवार को सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। इससे पहले मार्च में 7.39 फीसद थी। वहीं फरवरी में 4.17 फीसद थी और यह उस समय 27 महीने का उच्च्तम स्तर था। खाने-पीने और ईंधन, बिजली के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। जनवरी महीने में थोक महंगाई दर 2.03 फीसदी रही, जबकि दिसंबर 2020 महीने में थोक मुद्रास्फीति दर 1.22 फीसदी थी।

यह लगातार चौथा महीना है जब थोक महंगाई बढ़ी है। महीने-दर-महीने के आधार पर थोक महंगाई दर में मार्च के 7.39 फीसद की तुलना में 3.1 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। मार्च में यह आठ साल के उच्चतम स्तर पर थी। पिछले साल कोविड-19 महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते कीमतें कम थीं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, ''अप्रैल 2021 (अप्रैल 2020 के मुकाबले) में मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर 10.49 फीसद थी। मंत्रालय ने कहा, ''मुख्य रूप से कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल जैसे खनिज तेलों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते अप्रैल 2021 में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर पिछले साल के इसी महीने की तुलना में अधिक है।

अंडा, मांस और मछली ने बढ़ाई महंगाई

इस दौरान अंडा, मांस और मछली जैसी प्रोटीन युक्त खाद्य उत्पादों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 4.92 फीसद रही।  हालांकि, सब्जियों की कीमतों में 9.03 फीसद की कमी हुई। दूसरी ओर अंडा, मांस और मछली की कीमतें 10.88 फीसदी बढ़ीं। अप्रैल में दालों की महंगाई दर 10.74 फीसदी थी, जबकि फलों में यह 27.43 फीसदी रही।  इसी तरह ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति अप्रैल में 20.94 फीसद रही, जबकि विनिर्मित उत्पादों में यह 9.01 फीसद थी।

दिसंबर 2020 में 1.22 फीसद थी

खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के बाद भी थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2021 में बढ़कर 2.03 फीसद हो गई थी। इसका मुख्य कारण विनिर्मित वस्तुओं के दाम में तेजी थी। थोक मुद्रास्फीति (WPI)  इससे पहले दिसंबर 2020 में 1.22 फीसद और जनवरी 2020 में 3.52 फीसद थी। जनवरी 2021 में  खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति शून्य से 2.8 फीसद नीचे रही। दिसंबर 2020 में शून्य से 1.11 फीसद नीचे थी। 

मुद्रास्फीति क्या है?

एक निश्चित अवधि में मूल्यों की उपलब्ध मुद्रा के सापेक्ष वृद्धि मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाती है। मान लीजिये आज आप एक प्लेट छोले मसाला 100 रुपये में खरीदते हैं। सालाना मुद्रास्फीति अगर 10% मानकर चलें, यही छोले अगले साल आप 110 रुपये में खरीदेंगे। आपकी आमदनी अगर तुलनात्मक रूप से कम से कम इतनी भी नहीं बढ़ती है, आप इसे या इस प्रकार की अन्य वस्तुओं को खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे।

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