भारत-चीन: बनाए गए नामों से तथ्य नहीं बदलेंगे: चीन द्वारा अरुणाचल की 15 जगहों के 'नाम बदलने' पर भारत

भारत-चीन - बनाए गए नामों से तथ्य नहीं बदलेंगे: चीन द्वारा अरुणाचल की 15 जगहों के 'नाम बदलने' पर भारत
| Updated on: 31-Dec-2021 02:36 PM IST
नई दिल्ली. चीन (China) ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य अनुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में 15 स्थानों के लिए चीनी अक्षरों और तिब्बती व रोमन वर्णमाला के आधार पर रखने का ऐलान के बाद भारत ने निरर्थक बताया है. चीन के नाम बदलने के ऐलान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे नाम रखने से यह तथ्य नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ऐसा पहली बार नहीं जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश (India-China Relations) के स्थानों का अपनी भाषा में नामकरण किया है. चीन कुछ भी कर लें, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा.

गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हमने ऐसी रिपोर्टें देखी हैं. यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का अपनी भाषा में नामकरण किया है. अप्रैल 2017 में भी चीन ऐसा कर चुका है. चीन के ऐसा करने से यह तथ्य नहीं बदल जाएगा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अटूट हिस्सा रहा है और रहेगा.’

चीन ने बदले अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के नाम

सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को दी गई खबर में कहा कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि उसने जांगनान, अरुणाचल प्रदेश के लिये चीनी नाम, में 15 स्थानों के नामों को चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में मानकीकृत किया है. खबर में कहा गया कि यह चीनी मंत्रिमंडल ‘स्टेट काउंसिल’ द्वारा भौगोलिक नामों पर जारी नियमों के अनुसार है.

15 स्थानों के आधिकारिक नामों, जिन्हें सटीक देशांतर और अक्षांश दिया गया है, में आठ आवासीय स्थान, चार पहाड़, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा हैं. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के मानकीकृत नामों का यह दूसरा समूह है.

अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है चीन

चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता है और इसे दक्षिण तिब्बत बताता है. चीन के इस दावे को भारत सरकार ने हमेशा से खारिज किया है और अरुणाचल प्रदेश को भारत का एक अभिन्न हिस्सा बताया है. चीन यहां अपने दावे को लेकर भारतीय नेताओं और अधिकारियों के दौरे पर अक्सर आपत्ति व्यक्त करता रहता है. भारत और चीन के बाद पहले से ही सीमा विवाद चल रहा है और इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच कुछ मौकों पर हिंसक भिड़ंत भी हो चुकी है.

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