Share Market News: पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिसने निवेशकों को चिंता में डाल दिया। निफ्टी50 में करीब 3% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि आईटी इंडेक्स 8% तक टूट गया। इस गिरावट के पीछे कई कारण रहे, जिनमें डॉलर की मजबूती, विदेशी फंड्स का लगातार बाहर जाना, और अमेरिका के H-1B वीजा फीस में भारी वृद्धि का फैसला प्रमुख हैं।
26 सितंबर 2025, शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार लगातार छठे दिन लाल निशान पर बंद हुआ। सेंसेक्स 733 अंक फिसलकर 80,426 पर और निफ्टी50 236 अंक टूटकर 24,655 पर बंद हुआ। पूरे हफ्ते में सेंसेक्स 2,199 अंक और निफ्टी50 672 अंक नीचे आए। यह पिछले छह महीनों में साप्ताहिक आधार पर सबसे बड़ी गिरावट थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस को बढ़ाकर सालाना $100,000 (लगभग ₹83 लाख) करने का आदेश दिया है। इस फैसले का सीधा असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ा, जिनके हजारों कर्मचारी अमेरिका में H-1B वीजा पर काम करते हैं। नतीजतन, आईटी इंडेक्स में 8% तक की भारी गिरावट देखी गई। टेक महिंद्रा (-9.4%), टीसीएस (-8.5%), विप्रो (-8%), और इन्फोसिस (-5.9%) जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी नुकसान हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिका ने दवाइयों पर 100%, किचन कैबिनेट्स पर 50%, फर्नीचर पर 30%, और हैवी ट्रक्स पर 25% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। इन कदमों ने निवेशकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप इस हफ्ते करीब ₹16 लाख करोड़ कम हो गया। निफ्टी50 में शामिल 43 कंपनियों को नुकसान हुआ, जबकि कुछ कंपनियों जैसे मारुति (2.7%), एक्सिस बैंक (1.6%), एलएंडटी (1.5%), और आईशर मोटर्स (1.1%) में मामूली बढ़त देखी गई।
आईटी सेक्टर: -8% (सबसे बड़ी गिरावट)
रियल्टी: -6.1%
फार्मा: -5.2%
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स: -4.6%
मीडिया: -2.7%
छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों पर भी असर पड़ा। निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 5.1% और निफ्टी मिडकैप 100 में 2.1% की गिरावट दर्ज की गई।
HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च के अनुसार, सितंबर 2024 से भारतीय शेयर बाजार उभरते बाजारों की तुलना में 32% पिछड़ गया है, जो 2001 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैल्यूएशन ऐतिहासिक स्तर पर लौट आए हैं, जो बाजार को आकर्षक बनाता है। ब्रोकरेज रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महंगाई में कमी और नीतिगत समर्थन के कारण कमाई में सुधार हो सकता है। इससे विदेशी निवेशकों की वापसी की संभावना बढ़ सकती है।