India-China Relation: जयशंकर की चीन को खरी-खरी, 'जब तक सीमा पर शांति नहीं तब तक संबंधों को आगे बढ़ाना मुश्किल'

India-China Relation - जयशंकर की चीन को खरी-खरी, 'जब तक सीमा पर शांति नहीं तब तक संबंधों को आगे बढ़ाना मुश्किल'
| Updated on: 26-Sep-2024 01:00 AM IST
India-China Relation: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में भारत-चीन संबंधों को एशिया और वैश्विक राजनीति के भविष्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इन दो प्रमुख एशियाई देशों के बीच संबंधों का प्रभाव केवल इस महाद्वीप पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। जयशंकर ने यह बात न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम ‘भारत, एशिया और विश्व’ के दौरान कही, जिसका आयोजन एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने किया था।

भारत-चीन संबंधों का वैश्विक प्रभाव

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, “भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम हैं। अगर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को भी बहुध्रुवीय होना होगा। इस रिश्ते का असर केवल एशिया पर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के भविष्य पर भी पड़ेगा।” हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान में दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं।

कठिन इतिहास और जटिल सीमा विवाद

विदेश मंत्री ने भारत और चीन के बीच के कठिन इतिहास का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक अरब से अधिक आबादी वाले पड़ोसी हैं, और उनकी सीमा 3,500 किलोमीटर लंबी है। यह सीमा अक्सर ओवरलैप होती है, और दोनों के वैश्विक उदय के साथ यह स्थिति और जटिल हो गई है। “भारत और चीन का समानांतर उदय वैश्विक राजनीति में एक अनोखी चुनौती पेश करता है,” जयशंकर ने कहा।

2020 के बाद गश्त की व्यवस्था में बाधा

जयशंकर ने यह भी कहा कि 2020 के बाद से भारत-चीन सीमा पर गश्त की व्यवस्था बाधित हो गई है। उन्होंने बताया कि “2020 के बाद गश्त की व्यवस्था में बाधा आई है, और इसे हल करने की आवश्यकता है। यह एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि दोनों देशों ने सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए थे।’’

जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए कई समझौते इस उद्देश्य से बनाए गए थे कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे। लेकिन, 2020 में चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के कारण इन समझौतों का उल्लंघन हुआ, जिससे सीमा पर तनाव पैदा हुआ। “चीनियों ने बड़ी संख्या में सैनिकों को खड़ा कर दिया और हमने उसी तरह जवाब दिया,” उन्होंने कहा।

गलवान घाटी की झड़प

गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि जब सैनिकों की इतनी बड़ी संख्या सीमा पर तैनात होती है, तो यह स्थिति बेहद खतरनाक हो जाती है। “इस प्रकार की स्थिति में दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है और ऐसा ही हुआ। झड़प में दोनों देशों के कई सैनिकों की जान गई, और तभी से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है,” उन्होंने कहा।

शांति बहाली के प्रयास

जयशंकर ने कहा कि सीमा पर शांति बहाल करना और समझौतों का पालन करना सबसे अहम है, ताकि दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि “जब तक सीमा पर शांति बहाल नहीं होती, तब तक अन्य द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा।” पिछले चार वर्षों से भारत का प्राथमिक ध्यान सीमा से सैनिकों की वापसी पर है, ताकि वे उन सैन्य अड्डों पर लौट सकें, जहां से वे पारंपरिक रूप से कार्य करते हैं।

भारत-चीन संबंधों की अहमियत

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों का असर केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक असर एशिया और वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा। एशिया की स्थिरता और बहुध्रुवीयता के लिए इन संबंधों का महत्व और भी बढ़ जाता है।

जयशंकर के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी रणनीति में दोनों देशों के बीच के इतिहास, वर्तमान विवादों और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। भारत-चीन संबंधों का संतुलन केवल एशिया के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

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