देश: राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के लिए साझा उम्मीदवार तय करना आसान नहीं, पवार-अब्दुल्ला और गांधी ने किया इनकार
देश - राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के लिए साझा उम्मीदवार तय करना आसान नहीं, पवार-अब्दुल्ला और गांधी ने किया इनकार
|
Updated on: 21-Jun-2022 07:56 AM IST
President Election: राष्ट्रपति चुनाव के लिए एकजुट होने की कोशिश कर रहे विपक्ष के लिए साझा उम्मीदवार तय कर पाना आसान नहीं है। शरद पवार के बाद फारुक अब्दुल्ला और अब गोपाल कृष्ण गांधी ने भी उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। इससे विपक्ष की मुहिम को तगड़ा झटका लगा है। विपक्ष को उम्मीदवार तय करने के लिए अब नए सिरे से मैराथन बैठक करनी पड़ सकती है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विपक्षी खेमे में ऐसे नेताओं की संख्या बेहद सीमित है जिन्हें बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार सभी दल स्वीकार कर सकें। दरअसल, शरद पवार इनमें सबसे बेहतरीन विकल्प हो सकते थे लेकिन वह खुद इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। हालांकि, उन्हें अभी भी मनाने की कोशिश जारी हैं। वहीं, गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर भी विपक्ष के काफी हद तक एकमत होने के आसार थे लेकिन उन्होंने भी इनकार कर दिया है।पिछली बार विपक्ष ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतारा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे। संभवत: वह स्थितियों को समझते हैं और इसलिए उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया। लेकिन फारुक अब्दुल्ला के मामले में सहमति की संभावनाएं कम थीं। इसके पीछे कई राजनीतिक कारण हैं। लेकिन उनके इनकार के बाद अब उन कारणों पर प्रकाश डालने की जरूरत नहीं है।तृणमूल कांग्रेस अधिक सक्रियराष्ट्रपति चुनाव को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से ज्यादा तृणमूल कांग्रेस सक्रिय नजर आ रही है। कुछ समय पहले तक तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव भी सक्रिय दिख रहे थे लेकिन पिछले दिनों ममता की पहल पर बुलाई गई बैठक में उन्होंने शिरकत नहीं की। जिससे यह संदेश भी गया कि विपक्षी दलों की राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग है।एनडीए के पास संख्याबल कमजानकारों की मानें तो एनडीए के पास संख्याबल कम होने के बावजूद विपक्ष हतोत्साहित है। कारण साफ है कि विपक्ष को एकजुट करने में कठिनाइयां तथा उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाना मुश्किल है जबकि अक्सर एनडीए की सधी हुई राजनीति विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेर देती है। फिर वाईएसआर कांग्रेस, बीजद आदि दलों ने भी संकेत दे दिए हैं कि वे इस मामले में कम से कम विपक्ष के साथ नहीं हैं। पिछली बैठक में आमंत्रित होने के बावजूद बीजद ने हिस्सा नहीं लिया था। जबकि वाईएसआर कांग्रेस को तो आमंत्रण ही नहीं दिया गया था।इसके अलावा आम आदमी पार्टी, बसपा आदि भी बैठक में अनुपस्थित रहे जिससे विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका लगा। इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में विपक्ष किस चेहरे पर दांव लगाता है। लेकिन जो हालात हैं, उससे साफ है कि वह उम्मीदवार उतारकर महज औपचारिकता ही निभा पाएगा।
Disclaimer
अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।