टोक्यो ओलंपिक्स: मैंने साबित किया है कि कुछ भी असंभव नहीं है: सेमीफाइनल में जीत के बाद भाविना पटेल

टोक्यो ओलंपिक्स - मैंने साबित किया है कि कुछ भी असंभव नहीं है: सेमीफाइनल में जीत के बाद भाविना पटेल
| Updated on: 28-Aug-2021 02:59 PM IST
Tokyo Paralympics: गुजरात के मैहसाणा जिले में एक छोटी परचून की दुकान चलाने वाले हंसमुखभाई पटेल की बेटी भाविना (Tokyo Paralympics: Bhavinaben Patel) को पदक का दावेदार भी नहीं माना जा रहा था लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से इतिहास रच दिया. बारह महीने की उम्र में पोलियो की शिकार हुई पटेल ने कहा ,‘‘ जब मैं यहां आई तो मैने सिर्फ अपना शत प्रतिशत देने के बारे में सोचा था. अगर ऐसा कर सकी तो पदक अपने आप मिलेगा. मैने यही सोचा था. उन्होंने कहा ,‘‘ अगर मैं इसी आत्मविश्वास से अपने देशवासियों के आशीर्वाद के साथ खेलती रही तो कल गोल्ड जरूर मिलेगा. मैं फाइनल के लिये तैयार हूं और अपना शत प्रतिशत दूंगी. उन्होंने आगे अपने बयान में कहा, 'यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि मैंने एक चीनी खिलाड़ी को हरा दिया है, हर कोई कहता है कि एक चीनी खिलाड़ी को हराना असंभव है लेकिन मैंने साबित कर दिया है कि कुछ भी असंभव नहीं है. सब कुछ संभव है अगर आप करना चाहते हैं," उन्होंने कहा, "मैं पीसीआई, साई, नेत्रहीन लोगों के संघ और टॉप्स को धन्यवाद देना चाहती हूं क्योंकि उनके समर्थन के कारण मैं यहां पहुंची हूं."

व्हीलचेयर पर खेलने वाली पटेल ने पहला गेम गंवा दिया लेकिन बाद में दोनों गेम जीतकर शानदार वापसी की. तीसरा गेम जीतने में उन्हें चार मिनट ही लगे. चौथे गेम में चीनी खिलाड़ी ने फिर वापसी की लेकिन निर्णायक पांचवें गेम में पटेल ने रोमांचक जीत दर्ज करके फाइनल में प्रवेश किया. दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी झांग के खिलाफ पटेल की यह पहली जीत थी. दोनों इससे पहले 11 बार एक दूसरे से खेल चुके हैं.

पटेल को पहले ग्रुप मैच में झोउ ने आसानी से हराया था. उनके खिलाफ फाइनल जीतना आसान नहीं होगा. पटेल ने क्वार्टर फाइनल में 2016 रियो पैरालम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता और दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी बोरिस्लावा पेरिच रांकोविच को हराया था.

क्लास 4 वर्ग के खिलाड़ियों का बैठने का संतुलन सही रहता है और हाथ पूरी तरह से काम करते हैं. उनके शरीर में विकार मेरूदंड में चोट के कारण होता है. पटेल ने 13 साल पहले अहमदाबाद के वस्त्रापुर इलाके में नेत्रहीन संघ में खेलना शुरू किया जहां वह दिव्यांगों के लिये आईटीआई की छात्रा थी. बाद में उन्होंने दृष्टिदोष वाले बच्चों को टेबल टेनिस खेलते देखा और इसी खेल को अपनाने का फैसला किया.

उन्होंने अहमदाबाद में रोटरी क्लब के लिये पहला पदक जीता ।उनका विवाह निकुंज पटेल से हुआ जो गुजरात के लिये जूनियर क्रिकेट खेल चुके हैं. पटेल 2011 में दुनिया की दूसरेनंबर की खिलाड़ी भी बनी जब उन्होंने पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में भारत के लिये रजत पदक जीता था. अक्ट्रबर 2013 में उन्होंने बीजिंग में एशियाई पैरा टेनिस चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था.

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