Jammu-Kashmir Assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दूसरे दिन भी हंगामा, सरकार 4 अहम बिल पास कराने को तैयार

Jammu-Kashmir Assembly - जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दूसरे दिन भी हंगामा, सरकार 4 अहम बिल पास कराने को तैयार
| Updated on: 30-Oct-2025 01:05 PM IST
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुरुवार को दूसरे दिन भी भारी हंगामा देखने को मिला, क्योंकि सरकार टेनेंसी रिफॉर्म, पंचायती राज, लेबर वेलफेयर और कोऑपरेटिव से जुड़े चार महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की तैयारी में है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब बुधवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करने के लिए एक विधेयक पेश किया गया था, और सदन में भाजपा विधायक द्वारा की गई सांप्रदायिक टिप्पणी पर भी गरमागरम बहस हुई थी।

सरकार का महत्वाकांक्षी विधायी एजेंडा

आज विधानसभा के एजेंडे में चार प्रमुख बिल शामिल हैं, जो जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण सुधार लाने का लक्ष्य रखते हैं। इनमें सबसे पहले जम्मू और कश्मीर टेनेंसी बिल, 2025 (L. A. बिल नंबर 4 ऑफ़ 2025) है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य एक रेंट अथॉरिटी का गठन करना है, जो किराए पर स्थानों को विनियमित करेगा और मकान मालिकों तथा किराएदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक त्वरित न्याय प्रणाली प्रदान करेगा और यह विधेयक शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में किराएदारी संबंधों को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

पंचायती राज और श्रम कानूनों में सुधार

दूसरा महत्वपूर्ण बिल जम्मू और कश्मीर पंचायती राज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 (L. A और बिल नंबर 5 ऑफ़ 2025) है। यह विधेयक 1989 के अधिनियम के तहत स्थापित पंचायती राज ढांचे को मजबूत करने के लिए बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिससे स्थानीय स्वशासन को और अधिक अधिकार और संसाधन मिल सकें। इसके साथ ही, जम्मू और कश्मीर शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स (लाइसेंसिंग, एम्प्लॉयमेंट का रेगुलेशन और सर्विस की शर्तें) बिल, 2025 (L. A. बिल नंबर 6 of 2025) का उद्देश्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में श्रम कानूनों और काम करने की स्थितियों को सरल बनाना है। यह बिल श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए व्यवसायों के लिए अनुपालन को आसान बनाने की कोशिश करेगा।

सहकारी क्षेत्र को मजबूती

चौथा विधेयक जम्मू और कश्मीर कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ (अमेंडमेंट) बिल, 2025 (L. A. बिल नंबर 7 of 2025) है और यह विधेयक पूरे केंद्र शासित प्रदेश में सहकारी समितियों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए संशोधन चाहता है। इसका लक्ष्य सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करना, उनकी स्वायत्तता बढ़ाना और उन्हें आर्थिक विकास में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने में सक्षम बनाना है। ये सभी बिल जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में व्यापक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। इससे पहले बुधवार को, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री जाविद अहमद डार ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन से जुड़ा एक विधेयक पेश किया था। इस विधेयक में राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का प्रस्ताव है। विधेयक के मसौदे के अनुसार, एसईसी का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा और वे 70 वर्ष की आयु होने तक पद पर बने रह सकते हैं। यह संशोधन एसईसी को अधिक अनुभव और स्थिरता के साथ काम करने का अवसर प्रदान कर सकता है।

सदन में सांप्रदायिक टिप्पणी पर हंगामा

बुधवार को विधानसभा में उस समय भी हंगामा हुआ जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक शगुन परिहार ने आरोप लगाया कि सरकार किश्तवाड़ के कुछ इलाकों की उपेक्षा कर रही है क्योंकि वहां ‘राष्ट्रवादी हिंदू’ रहते हैं। किश्तवाड़ की विधायक की इस टिप्पणी पर सत्ता पक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई और मंत्री जाविद डार ने इन टिप्पणियों को सांप्रदायिक करार देते हुए इन्हें कार्यवाही से हटाने की मांग की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद खान गुरेजी ने भी कहा कि हजारों मुसलमानों ने देश के लिए कुर्बानी दी है और उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए। शोरगुल के बीच, उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में मुसलमान, सिख और ईसाई भी हिंदुओं की तरह ही राष्ट्रवादी हैं, जिससे सदन में तनाव कुछ कम हुआ। इन सभी विधायी प्रयासों और राजनीतिक गहमागहमी के बीच, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं जो केंद्र शासित प्रदेश के भविष्य को आकार देंगे।

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