अनोखा कनेक्शन: मंदिर के अंदर आया मगरमच्छ, पुजारी ने समझाकर वापस भेजा

अनोखा कनेक्शन - मंदिर के अंदर आया मगरमच्छ, पुजारी ने समझाकर वापस भेजा
| Updated on: 22-Oct-2020 11:11 AM IST
कासरगोड | हमारे देश के मंदिर और तीर्थस्थल कई रहस्यों को समेटे हुए हैं, जिनका आज तक राज नहीं खुल सका है। ये रहस्य श्रद्धालुओं को हैरान भी करते हैं और उन्हें श्रद्धा की अनुभूति कराते हैं। केरल के कासरगोड स्थित अनंतपुर नाम का मंदिर है जिसकी कई साल से एक मगरमच्छ रखवाली कर रहा है। मगरमच्छ का नाम बाबिया है और उसे मंदिर का पुजारी कहा जाता है। मंगलवार को यह मगरमच्छ अचानक मंदिर में प्रवेश कर गया। बताया जा रहा है कि यह अनोखा दृश्य पहली बार देखने को मिला, जिसे देखकर कई लोग हैरान रह गए। फिर पुजारी के कहने पर मगरमच्छ तालाब में वापस चला गया।

मंदिर में प्रवेश कर मगरमच्छ ने किए दर्शन

बाबिया नाम का यह मगरमच्छ शाकाहारी है और कई साल से मंदिर के तालाब में रह रहा है। बाबिया ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया था जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल है। कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि मगरमच्छ ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया जो कि ठीक नहीं है। बाबिया ने मंगलवार शाम को मंदिर के परिसर में प्रवेश किया और वहां कुछ समय बिताया। इसके बाद मुख्य पुजारी चंद्रप्रकाश नंबिसन के कहने पर वह मंदिर के तालाब में वापस चला गया।

इस रहस्य से आज तक नहीं उठा पर्दा

माना जाता है कि मगरमच्छ शाकाहारी है और किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। हालांकि यह बात कोई नहीं जानता कि बाबिया मंदिर के तालाब में कैसे आया और यह नाम इसे किसने दिया। ऐसी मान्यता है कि मगरमच्छ मंदिर के तालाब में 70 वर्षों से भी अधिक समय से रह रहा है और कभी किसी से हिंसक व्यवहार नहीं किया।

दिन में दो बार प्रसाद खाता है बाबिया

बबिया खाने में मंदिर का प्रसाद ग्रहण करता है उसे हर रोज पूजा के बाद दिया जाता है। जब पुजारी बुलाते हैं तो वह तालाब से बाहर आ जाता है। मंदिर के एक कर्मचारी का कहना है, 'पुजारी दिन में दो बार बाबिया को प्रसाद देते हैं। वह हर बार चावल के गोले खाता है। पुजारी का बाबिया से अनोखा कनेक्शन है। मंदिर के तालाब में ढेरों मछलियां हैं और हमें यकीन है कि बाबिया कभी उनका शिकार नहीं करता है। बाबिया पूरी तरह से शाकाहारी है।'

पुजारी और बाबिया का अनोखा कनेक्शन

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि बाबिया मगर क्रोकोडाइल है। ये अधिकतर झीलों और नदियों में रहते हैं और ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं। बाबिया के पास जाने या उसे प्रसाद खिलाने की इजाजत किसी अन्य व्यक्ति को नहीं है। बताते हैं कि मुख्य पुजारी के तालाब के किनारे पर आने पर बाबिया भी वहां आ जाता है, जिसके बाद उसे मंदिर में चढ़ा प्रसाद खिलाया जाता है।

तालाब के बीच स्थित है मंदिर

अनंतपुर मंदिर को पद्मनाभस्वामी मंदिर (तिरुवनंतपुरम) का मूलस्थान माना जाता है। कहते हैं कि यह वही जगह है जहां 'अनंतपद्मनाभा' की स्थापना हुई थी। यह मंदिर तालाब में स्थित है। इसी तालाब में बाबिया नाम का मगरमच्छ कई साल से रह रहा है।

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