Congress on AAP: खरगे ने दिल्ली-पंजाब कांग्रेस नेताओं ने कहा- AAP से न करे गठबंधन

Congress on AAP - खरगे ने दिल्ली-पंजाब कांग्रेस नेताओं ने कहा- AAP से न करे गठबंधन
| Updated on: 29-May-2023 01:15 PM IST
Congress on AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों संसद में केंद्र के खिलाफ समर्थन जुटाने में लगे हैं. दिल्ली को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ वह विपक्षी पार्टियों से संसद में समर्थन मांग रहे हैं. कुछ पार्टियों ने समर्थन का ऐलान किया है. कांग्रेस नेताओं की भी इस संबंध में मीटिंग हुई है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पंजाब और दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने आम आदमी पार्टी को समर्थन न देने की सलाह दी. खासतौर पर दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने साफ लफ्जों में केजरीवाल को समर्थन से इनकार किया है.

दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने अध्यक्ष खरगे से एक सुर में कहा कि अरविंद केजरीवाल से कोई गठबंधन नहीं होना चाहिए. अजय माकन से जैसे नेताओं ने पार्टी को केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को समर्थन न देने की सलाह दी. दिल्ली में कांग्रेस नेताओं का माना जा रहा है कि मिला-जुला रुझान रहा. पंजाब कांग्रेस नेताओं ने पार्टी को आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन से दूर रहने की सलाह दी. हालांकि, अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी को समर्थन देने या न देने के फैसले को अध्यक्ष खरगे पर छोड़ दिया है.

राज्य सरकार को डिक्टेट नहीं कर सकते राज्यपाल- सिद्धू

पंजाब कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा बरार ने बताया कि सभी नेताओं ने अपनी राय दी है. अब आगे का फैसला पार्टी नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष खरगे को करना है. वहीं मीटिंग में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि आम आदमी पार्टी को लेकर जो बातें हुई वो गोपनीय है. अध्यक्ष और राहुल गांधी ही इस पर बात रखेंगे. उन्होंने अपने विचार के रूप में कहा कि राज्यपाल द्वारा किसी राज्य सराकर को डिक्टेट नहीं किया जा सकता.

अजय माकन ने मीटिंग में दी ये दलीलें

मीटिंग में बताया जा रहा है कि अजय माकन ने अध्यादेश का विरोध न करने को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी दिया. उन्होंने बताया कि पहला ये कि अगर इस अध्यादेश का पार्टी विरोध करती है तो यह पंडित नेहरू, सरदार पटेल, आंबेडकर, लाल बहादुर शास्त्री के विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ होगा. दूसरा, अगर अध्यादेश पारित नहीं होता है तो इससे केजरीवाल को विशेषाधिकार हासिल होगा, जिससे राजधानी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को वंचित रहना पड़ा था.

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