धर्म: मकर संक्रांति से एक दिन पहले सुंदरी और मुंदरी की याद में मनाई जाती है लो‍हड़ी

धर्म - मकर संक्रांति से एक दिन पहले सुंदरी और मुंदरी की याद में मनाई जाती है लो‍हड़ी
| Updated on: 13-Jan-2020 10:26 AM IST
धर्म डेस्क | लोहड़ी का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में आने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सूर्य जिस दिन मकर राशि में प्रवेश करने वाले होते हैं उस दिन से ठीक एक दिन पहले देश के कई भागों में बड़े ही आनंद और उल्लास से लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता। आमतौर पर मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाती है इसलिए लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाता रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश का समय बढ़ाना शुरू कर दिया है इसलिए मकर संक्रांति और लोहड़ी की डेट को लेकर उलझन की स्थिति बन जाती है। तो बता दें कि इस बार लोहड़ी 14 को है।

इस दिन लोहड़ी और इस दिन मकर संक्रांति

ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 तारीख की मध्य रात्रि में 2 बजकर 7 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाएगा जबकि लोहड़ी पर्व 13 जनवरी को परंपरागत तरीके के साथ मनाया जाता है।

मूंगफली, गुड़, तिल और गजक की मिठास

लोहड़ी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम में 5 बजकर 45 मिनट के बाद रहेगा क्योंकि शाम में 4 बजकर 26 मिनट के बाद से 5 बजकर 45 मिनट तक रोग काल रहेगा। लोहड़ी पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में माना जाता है। इसकी तैयारी लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। लोहड़ी में मूंगफली, गुड़, तिल और गजक का विशेष महत्‍व माना जाता है।

सुंदरी और मुंदरी की कहानी

इस त्योहार में शाम के समय खुली जगह पर लोहड़ी जलाई जाती है। इस पवित्र अग्नि में मूंगफली, गजक, तिल, मक्का डालते हुए अग्नि की परिक्रमा की जाती है। लोग इस अग्नि के पास लोकगीत गाते हुए उत्सव मनाते हैं। यह अग्नि दुल्ला भट्टी की याद दिलाती है जिन्होंने जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी नाम की दो गरीब लड़कियों की शादी करवायी थी। ऋतु परिवर्तन से जुड़ा लोहड़ी का त्योहार शीत ऋतु के जाने और वसंत ऋतु के आगमन के तौर भी मनाया जाता है।

ऐसे मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी की अग्नि में रबी की फसलों (जौ,चना,मसूर,सरसों,गेहूं,मटर,मक्का) को अर्पित किया जाता है। इसी वक्‍त पंजाब में फसलों की कटाई शुरू होती है। देवताओं को नई फसल का भोग लगाकर पूरे साल के लिए भगवान से धन और संपन्‍नता की प्रार्थना की जाती है। महिलाएं, पुरुष और बच्‍चे सभी पवित्र अग्नि के चारों ओर नृत्‍य करते हुए लोकगीत और भजन गाते हैं। लोहड़ी की रात को सबसे सर्द और सबसे लंबी रात माना जाता है।

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