विज्ञान: इस साल का सबसे चमकदार माना जा रहा धूमकेतु 'लियोनार्ड' 12 दिसंबर को धरती के पास से गुज़रेगा

विज्ञान - इस साल का सबसे चमकदार माना जा रहा धूमकेतु 'लियोनार्ड' 12 दिसंबर को धरती के पास से गुज़रेगा
| Updated on: 08-Dec-2021 11:38 AM IST
वॉशिंगटन: दिसंबर में धरती के करीब से हाल में ही खोजा गया लियोनार्ड धूमकेतु गुजरने वाला है। 70,000 साल में यह पहला मौका होगा जब हरे रंग की पूंछ वाला कोई धूमकेतु धरती की इतनी करीब से निकलेगा। उत्तरी गोलार्ध में इसे पूर्व दिशा में किसी टेलिस्कोप या दूरबीन की मदद से देखा जा सकता है। इस दौरान लियोनार्ड धूमकेतु की चमक अपने शवाब पर होगी।

हरे रंग की पूंछ के साथ दिखाई देगा यह धूमकेतु

खगोलविदों का कहना है कि बाद में महीने में शाम को कुछ समय के लिए इस चमकीले हरे बर्फ के गोले को सूर्यास्त के बाद देखना संभव हो सकता है। इस दौरान इस धूमकेतु की हरे रंग की एक पूंछ भी दिखाई देगी। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बर्फीली चट्टान का आंतरिक भाग सूर्य के जितना करीब आता है, उतना ही गर्म होता है। इससे पहले यह नीली धूल, फिर पीले या सफेद और अंत में हरे रंग का उत्सर्जन करता है।

धरती के करीब टूट सकता है यह धूमकेतु

हरे रंग की पूंछ का मतलब यह धूमकेतु काफी गर्म है। इसमें बहुत सारे साइनाइड और डायटोमिक कार्बन हैं और इसके टूटने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा है। दुर्भाग्य से ब्रिटेन में स्काईवॉचर्स के लिए लियोनार्ड को देख पाना काफी मुश्किल होगा। दुनिया के बाकी हिस्सों में इस धूमकेतु को 10 दिसंबर के बाद कई दिनों तक आसमान में तेज रोशनी के साथ देखा जा सकता है।

धूमकेतु की ग्रेगरी जे लियोनार्ड ने की थी खोज

क्रिसमस के दिन लियोनार्ड को सूर्यास्त के बाद दक्षिण-पश्चिम क्षितिज पर देखने का मौका मिल सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया में कहां हैं। इस धूमकेतु के दिसंबर के अंत में सबसे अधिक चमकीला होने की उम्मीद है। लियोनार्ड धूमकेतु को खगोलविद ग्रेगरी जे लियोनार्ड ने 3 जनवरी को एरिजोना में माउंट लेमोन इन्फ्रारेड वेधशाला से खोजा था। इसे पहले सी / 2021 एआई के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

12 दिसंबर को दिखेगा सबसे अधिक चमकीला

यह पृथ्वी के सबसे करीब और सबसे अधिक चमकीला 12 दिसंबर को दिखेगा। इस दौरान इसकी पृथ्वी से दूरी लगभग 21 मिलियन मील (35 मिलियन किमी) होगी। जब इसे पहली बार देखा गया था तो इसमें नाममात्र की ही रोशनी थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, उस समय इसकी रोशनी सामान्य आंखों से दिखाई देने वाले सबसे कम रोशनी वाले सितारों की तुलना में 160,000 गुना मंद थी।

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