Muharram 2022: जामनगर में बड़ा हादसा, ताजिया जुलूस में करंट लगने से 10 घायल दो लोगों की हुई मौत

Muharram 2022 - जामनगर में बड़ा हादसा, ताजिया जुलूस में करंट लगने से 10 घायल दो लोगों की हुई मौत
| Updated on: 09-Aug-2022 02:48 PM IST
Muharram 2022: मुहर्रम की पूर्व संध्या पर गुजरात के जामनगर शहर में निकाले जा रहे ताजिया जुलूस के दौरान करंट लगने से दो लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए. पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी. बी-संभाग थाने के एक अधिकारी ने बताया कि घटना सोमवार की रात करीब सवा 11 बजे हुई, जब जुलूस शहर के धारानगर मोहल्ले से गुजर रहा था. मुस्लिम समुदाय के लोग कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम मनाते हैं.

बिजली के तार से छू जाने के बाद हुआ हादसा

अधिकारी ने बताया कि इमाम हुसैन के मकबरे की एक छोटी प्रतिकृति ताजिया के बिजली के तार से छू जाने के बाद उसमें करंट आ गया, जिसकी चपेट में 12 लोग आ गए. उन्होंने बताया कि ताजिया के तार को छूते ही उसके सिरे से एक चिंगारी निकलती दिखाई दी. ताजिया के संपर्क में आए लोगों को बिजली का झटका लगा. सभी 12 लोगों को एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने दो लोगों को मृत घोषित कर दिया. अधिकारी ने बताया कि मृतकों की पहचान आसिफ यूनुस भाई मलिक (23) और मोहम्मद वहीद (25) के तौर पर हुई है. ताजिया आम तौर पर बांस से बनाया जाता है और रंगीन रोशनी एवं कागज से उसे सजाया जाता है.

ताजिया का क्या अर्थ होता है?

रविवार, 31 जुलाई को, मुहर्रम 2022 का महीना आधिकारिक तौर पर भारत में शुरू हुआ. यह 9 अगस्त को समाप्त होता है. कहा जाता है कि मुहर्रम के महीने में पैगंबर इमाम हुसैन कर्बला की लड़ाई में शहीद हो गए थे. ताजिया इमाम हुसैन के मकबरे की प्रतिकृति है, और इसे कई रूपों और आकारों में बनाया जाता है. ताजिया शब्द अरबी शब्द अज़ा से लिया गया है जिसका अर्थ है मृतकों का स्मरण करना. मुस्लिम समुदाय के सदस्य ताजिया के साथ जुलूस में ढोल बजाते हैं और या हुसैन के नारे लगाते हैं.

जानें मुहर्रम के बारे में

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम नए साल की शुरुआत और इस्लामिक साल का पहला महीना है. यह सबसे शुभ महीनों में से एक है और मुसलमानों के बीच इसका बहुत महत्व है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम के महीने के दौरान, कर्बला की जंग हुई थी जिसमें हज़रत इमाम हुसैन को 10वीं मुहर्रम में शहीद कर दिया गया था. यही कारण है कि मुहर्रम को शोक के साथ मनाया जाता है, और दुनिया भर के मुसलमानों में उदासी रहती है.

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