Anil Ambani News: मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate, ED) ने अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ चल रही फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) जांच के तहत महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में छापेमारी की। एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मुंबई और इंदौर के महू में कम से कम छह परिसरों पर यह कार्रवाई की गई। यह छापेमारी विदेश में अवैध तरीके से धन भेजने के आरोपों से जुड़ी है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी पहले से ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अनिल अंबानी की कई कंपनियों, जिनमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) शामिल है, की कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। इस जांच का फोकस 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के कलेक्टिव लोन के "डायवर्जन" पर है।
सेबी (SEBI) की एक रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई शुरू हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आर इंफ्रा ने सीएलई नामक कंपनी के जरिए इंटर-कॉर्पोरेट डिपोजिट्स (ICDs) के रूप में रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों में अवैध रूप से धन डायवर्ट किया। इसके अलावा, यह भी दावा किया गया कि आर इंफ्रा ने सीएलई को अपनी "रिलेटेड पार्टी" के रूप में घोषित नहीं किया, जिससे शेयरधारकों और ऑडिट पैनल की मंजूरी से बचा गया।
रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि 10,000 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का मामला लगभग एक दशक पुराना है। कंपनी ने अपनी वित्तीय जानकारी में यह स्पष्ट किया था कि उसका वास्तविक जोखिम केवल 6,500 करोड़ रुपये का था।
9 फरवरी 2025 को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस मामले का सार्वजनिक खुलासा करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज की अध्यक्षता में आयोजित अनिवार्य मध्यस्थता कार्यवाही और बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर मध्यस्थता के जरिए, कंपनी 6,500 करोड़ रुपये के अपने पूर्ण जोखिम की वसूली के लिए एक समझौते पर पहुंची है।" कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से आर इंफ्रा के बोर्ड से जुड़े नहीं हैं।
पिछले महीने, अगस्त 2025 में, ईडी ने अनिल अंबानी से रिलायंस ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ कथित बैंक लोन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 10 घंटे तक पूछताछ की थी। दिल्ली में ईडी कार्यालय में सुबह 11 बजे शुरू हुई इस पूछताछ में अंबानी से लगभग एक दर्जन सवाल पूछे गए, और उनका बयान PMLA के तहत दर्ज किया गया।
पूछताछ के दौरान, अनिल अंबानी ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया और दावा किया कि उनकी कंपनियों ने नियामकों को अपनी वित्तीय स्थिति का समय पर खुलासा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी से जुड़े सभी वित्तीय निर्णय संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिए गए थे।
यह छापेमारी और जांच रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, क्योंकि ईडी की कार्रवाई से कंपनी की वित्तीय विश्वसनीयता और संचालन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस मामले में अगले कदम और जांच के नतीजे न केवल रिलायंस ग्रुप बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे।