धर्म: इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
धर्म - इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
|
Updated on: 03-Jan-2020 06:28 PM IST
मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। धर्म और ज्योतिष के नजरिए से यह पर्व बेहद खास है। यहां मकर से आशय राशिचक्र की 10वीं राशि मकर से है जबकि संक्रांति का अर्थ सूर्य का गोचर है। मकर राशि में सूर्य का गोचर ही मकर संक्रांति कहलाता है। सरल शब्दों में कहें तो इस दिन सूर्य मकर राशि में जाता है। 14 जनवरी रात 2.08 बजे सूर्य उत्तरायण होंगे यानी सूर्य चाल बदलकर धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी बुधवार सुबह से शुरू होगा। संक्रांति काल 15 जनवरी सुबह 7.19 बजे से शाम 5.55 बजे तक रहेगा। इस बार संक्रांति पर शोभन योग और बुद्धादित्य योग का विशेष संयोग बन रहा है।मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्तपुण्यकाल- सुबह 07.19 बजे से 12.31 बजे तकमहापुण्य काल - 07.19 बजे से 09.03 बजे तकज्योतिष में सूर्य ग्रह का मकर राशि में प्रभाव वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, ऊर्जा, पिता, नेतृत्वकर्ता, सम्मान, राजा, उच्च पद, सरकारी नौकरी आदि का कारक माना जाता है। यह सिंह राशि का स्वामी है। तुला राशि में यह नीचे का होता है, जबकि मेष राशि में यह उच्च का होता है। सूर्य के मित्र ग्रहों में चंद्रमा, गुरु और मंगल आते हैं जबकि शनि और शुक्र इसके शत्रु ग्रह हैं। सूर्य और मकर के संबंध को देखें तो मकर सूर्य के शत्रु शनि की राशि है।मकर संक्रांति का धार्मिक महत्वमकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सूर्य का उत्तरायण होना बेहद शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।इस दिन दान-पुण्य एवं स्नान का महत्व इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान-पुण्य का काम करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, जो मनुष्य मकर संक्रांति पर देह का त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।सिद्धि प्राप्ति के लिए खास ऐसी मान्यता है कि जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। इस वजह से साधु-संत और वे लोग जो आध्यात्मिक क्रियाओं से जुड़े हैं उन्हें शांति और सिद्धि प्राप्त होती है।प्रकृति में होते हैं कुछ खास परिवर्तनमकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती हैं।
Disclaimer
अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।