नई दिल्ली: कल होगी माल्या के किंगफिशर हाउस की नीलामी, रिजर्व प्राइस 60 फीसदी कम हुआ

नई दिल्ली - कल होगी माल्या के किंगफिशर हाउस की नीलामी, रिजर्व प्राइस 60 फीसदी कम हुआ
| Updated on: 26-Nov-2019 02:33 PM IST
नई दिल्ली। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के स्वामित्व वाला किंगफिशर हाउस (Kingfisher House) तीन साल में एक बार फिर 8वीं बार नीलामी के लिए रखा गया है। फिलहाल, किंगफिशर हाउस डिफंक्ट किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (KAL) का मुख्यालय है। इस संपत्ति की 27 नवंबर को ऑनलाइन नीलामी की जाएगी।भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के स्वामित्व वाला किंगफिशर हाउस (Kingfisher House) तीन साल में एक बार फिर 8वीं बार नीलामी के लिए रखा गया है। फिलहाल, किंगफिशर हाउस डिफंक्ट किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (KAL) का मुख्यालय है। इस संपत्ति की 27 नवंबर को ऑनलाइन नीलामी की जाएगी।

54 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस- संपत्ति की पहली नीलामी के दौरान 135 करोड़ रुपये के रिजर्व प्राइस से नीलामी शुरू हुई थी। 2016 में लगभग 150 करोड़ रुपये का मूल्य था। इस बार 8वीं नीलामी के लिए 60 फीसदी की तेज गिरावट के साथ रिजर्व प्राइस केवल 54 करोड़ रुपये से कम पर निर्धारित है।

1,586 वर्ग मीटर का है हाउस- इमारत को मूल रूप से पैराडिगम के नाम से जाना जाता है और बाद में इसे किंगफिशर हाउस कर दिया गया। इसमें एक बेसमेंट, एक अपर ग्राउंड फ्लोर, एक ग्राउंड फ्लोर और एक अपर फ्लोर है, जिसे बेचा जाना है। इसका कुल मापन 1,586 वर्ग मीटर है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरार्ष्ट्रीय हवाई अड्डे (सीएसएमआईए) के बाहर एक प्रतिष्ठित स्थान में लगभग 2,402 वर्ग मीटर की दूरी पर स्थित है।

9 हजार करोड़ से ज्यादा का है कर्ज- माल्या पर बैंकों का लगभग 9400 करोड़ रुपए बकाया है। अभी करीब 1800 करोड़ रुपए के विलफुल डिफॉल्टर हैं। बाकी बैंकअब भी माल्या के खिलाफ कोर्ट नहीं गए हैं।

2007 में की थी ये बड़ी गलती- साल 2005 में विजय माल्या ने किंगफिश एयरलाइंस की शुरुआत की थी। उनका किंगफिशर एयरलाइंस को एक बड़ा ब्रैंड बनाने का सपना था। इसीलिए माल्या ने साल 2007 में देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का टेकओवर किया था। इसके लिए उन्होंने 30 करोड़ डॉलर यानी 1,200 करोड़ रुपए (2007 में 1 डॉलर लगभग 40 रुपए के बराबर था) की भारी रकम खर्च की थी। साल 2007 में किया गया एक सौदा माल्या के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुआ। इस सौदे के पांच साल के भीतर माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई और उनका पूरा कारोबारी साम्राज्य लगभग खत्म हो गया।

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