Modi 3.0 Government: मोदी सरकार का बड़ा फैसला- वन नेशन वन इलेक्शन को मिली मंजूरी

Modi 3.0 Government - मोदी सरकार का बड़ा फैसला- वन नेशन वन इलेक्शन को मिली मंजूरी
| Updated on: 18-Sep-2024 03:41 PM IST
Modi 3.0 Government: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने हाल ही में 'एक देश, एक चुनाव' यानी 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो भारत की चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने की दिशा में अग्रसर है। बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई, और इसकी जानकारी दोपहर 3 बजे एक ब्रीफिंग में साझा की जाएगी।

राजनीतिक दलों का समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया। इनमें से 47 दलों ने प्रतिक्रिया दी, जिनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया। हालांकि, 15 दलों ने इसका विरोध किया, जबकि बाकी दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह समर्थन इस विचार की राजनीतिक स्वीकार्यता को दर्शाता है।

अमित शाह का आश्वासन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस योजना को अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान ही लागू करने का इरादा रखती है। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शाह ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का एक प्रमुख वादा है।

एक साथ चुनावों के लाभ

  • 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की योजना के कई संभावित लाभ हैं:
  • खर्च में कमी: चुनावों पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत हो सकेगी।
  • बार-बार चुनावों की आवश्यकता नहीं: इससे देश में स्थिरता बनी रहेगी, क्योंकि बार-बार चुनाव कराने से प्रशासनिक और आर्थिक बोझ बढ़ता है।
  • विकास पर ध्यान: चुनावी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
  • आचार संहिता का प्रभाव: बार-बार लागू होने वाली आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।
  • काले धन पर नियंत्रण: एक साथ चुनावों से काले धन के प्रयोग पर भी लगाम लगाई जा सकेगी, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।
निष्कर्ष

'एक देश, एक चुनाव' का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और संगठित बनाने में मदद कर सकता है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह चुनावी खर्च में कमी, राजनीतिक स्थिरता, और विकास की गति को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। आगे के चरणों में इसे लागू करने के लिए राजनीतिक दलों, सरकारी संस्थानों और नागरिक समाज को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।

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