Ajmer Rape Scandal: 100 से ज्यादा लड़कियों से गैंगरेप, 32 साल बाद आया फैसला

Ajmer Rape Scandal - 100 से ज्यादा लड़कियों से गैंगरेप, 32 साल बाद आया फैसला
| Updated on: 20-Aug-2024 07:01 PM IST
Ajmer Rape Scandal: जिले में हुए देश के बहुचर्चित नग्न चित्र ब्लैकमेल कांड में आज कोर्ट का फैसला आया। इस केस में 32 साल के बाद आए फैसले के तहत कोर्ट ने बाकी बचे सात में से छह आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई। बता दें कि ब्लैकमेल कांड में शामिल आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन हैं। इन सभी आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

एक लड़की को छोड़ने के लिए रखते थे दूसरी लाने की शर्त

दरअसल, आरोपियों ने पहले एक लड़की को अपने चंगुल में फंसाया। इसके बाद पहली लड़की को छोड़ने के बदले उसके सामने दूसरी लड़की लाने की शर्त रखते थे। इस तरह एक के बाद एक 100 से ज्यादा कॉलेज की लड़कियों के साथ आरोपियों ने गैंगरेप किया। गैंगरेप के दौरान आरोपी लड़कियों की नग्न फोटो खींच लेते थे। इसी दौरान एक कलर लैब से कई लड़कियों की नग्न फोटो शहर भर में फैल गई। बता दें कि ये कहानी करीब 32 साल पुराने मामले की है, जिस पर आज कोर्ट का फैसला आया।

'अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड'

इस पूरे मामले में 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 को सजा हो चुकी है। नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, इकबाल भाटी और टार्जन को लेकर आज फैसला आया है। अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस पूरे स्कैंडल को 32 साल पहले 'अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड' नाम दिया गया था। इस मामले में अनवर चिश्ती, फारूख चिश्ती, परवेज अंसारी, मोइनुल्ला उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, इशरत उर्फ लल्ली, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, शमशु चिश्ती उर्फ मेंराडोना व टार्जन को गिरफ्तार किया गया था।

यह था पूरा मामला

अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस और उसके गुर्गे कॉलेज की लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे। फार्महाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर लड़कियों को बुलाते थे और फिर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ गैंगरेप करते थे। इसके बाद आरोपी उनकी न्यूड तस्वीरें खींच लेते थे। न्यूड तस्वीरों के नाम पर आरोपी लड़कियों को ब्लैकमेल कर दूसरी लड़कियों को अपने साथ लाने का दबाव बनाते थे। इस तरह एक के बाद एक लकड़ियां इनके चंगुल में फंसती चली गई।  

18 पीड़िताओं ने दिए थे बयान

मामले का खुलासा होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत जुटा कर पुलिस के पास भी गईं, लेकिन पुलिस ने केवल बयान दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उधर आरोपियों ने बयान देने वाली लड़कियों को धमकाना शुरू कर दिया। एक तो आरोपियों का खुले आम घूमना और फिर धमकी देने का असर यह हुआ कि फिर वो लड़कियां कभी पुलिस के सामने नहीं गईं। हालांकि बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिया। बाकी लड़कियां भूमिगत हो गईं।

कलर लैब से लीक हुईं तस्वीरें

'अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड' का खुलासा अजमेर के एक कलर लैब से हुआ। जब वहां रखे कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए और शहर में चर्चा शुरू हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो इस स्कैंडल का खुलासा हुआ। अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था। शुरुआती जांच में एक भी पीड़िता सामने नहीं आ रही थी, जिसके बाद पुलिस उन तस्वीरों के जरिए लड़कियों तक पहुंचने लगी। इस मामले के बाद कुछ लड़कियों ने तो आत्महत्या भी कर ली।

”बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेल का शिकार”

साल 1992 के मई महीने का एक साधारण दिन. राजस्थान के अजमेर के एक स्थानीय अखबार दैनिक नवज्योति अखबार में फ्रंट पेज पर एक खबर छपती है. खबर की हेडलाइन थी ”बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेल का शिकार”… इस खबर को देखने के बाद बवाल मच जाता है और फिर परत दर परत एक खौफनाक कहानी खुलती है. खुलासा हुआ कि एक गिरोह अजमेर के एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को फार्म हाउस पर बुलाकर रेप करता रहा और उसके बाद उन्हें उनकी अश्लील पिक्चरें दिखाकर ब्लैकमेल किया गया ताकी वह और लड़कियों को भी लेकर आएं. इस पूरे स्कैंडल का मास्टर माइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती था. उसके साथ कई अन्य आरोपी भी थे.

ऐसे शुरू हुआ सिलसिला

इन लोगों ने अपने घिनौने इरादों को अंजाम देने के लिए अजमेर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की लड़कियों को निशाना बनाया. इनमें से एक आरोपी फारूक चिश्ती ने पहले वहां की एक नाबालिग लड़की को अपने प्यार के जाल में फंसाया. फिर उसे किसी बहाने अपने फार्म हाउस पर ले गया और वहां उसके साथ रेप किया. लड़की से रेप करने के बाद आरोपियों ने रील कैमरे से उसकी न्यूड तस्वीरें खींच लीं. इसके बाद पीड़िता पर आरोपियों ने इस बात का दबाव बनाया कि वह अपनी सहेलियों को भी वहां पर लेकर आए और फिर शुरू हुआ हैवानियत का सिलसिला.

एक के बाद एक लड़कियां बनतीं गईं शिकार

अपने अश्लील तस्वीरों के लीक होने के डर से मजबूर लड़की को मजबूरन अपनी सहेली को भी इस दलदल में धकेलना पड़ा. एक से दो, दो से तीन और ऐसे कर-कर के ना जाने कितनी मासूम लड़कियों से इन दरिंदों ने रेप किया और उनकी नग्न तस्वीरें उतारीं. इसके बाद सब को ब्लैकमेल कर अलग-अलग जगहों पर बुलाने लगे और उनको अपनी हवस का शिकार बनाया. जानकारी के मुताबिक, इस मामले में पीड़ित लड़कियों की संख्या 100 से ज्यादा थी. घर वालों की नजरों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जाती थीं. उनके लेने के लिए बाकायदा गाड़ियां आती थीं और वापसी में छोड़ने भी आती थीं. दैनिक नवज्योति के मुताबिक, ऐसा नहीं था कि पुलिस को इस मामले की भनक नहीं पड़ी, लेकिन क्योंकि ये मामला एक साम्प्रदायिक मोड़ ले सकता था और उस वक्त हालात काफी खराब थे इस वजह से इस मामले में पुलिस भी कार्रवाई करने से डरती थी.

खुदकुशी करने लगीं पीड़िताएं

धीरे-धीरे इस स्कैंडल के बारे में पूरे शहर को पता चल गया. लड़कियों की अश्लील तस्वीरें वायरल होने लगीं. अखबार के मुताबिक, तस्वीरें वायरल होने के बाद इन लड़कियों को कई और लोगों ने भी ब्लैकमेल किया. इतने लोगों से ब्लैकमेल होने और अकेले इतना सब सहने के बाद एक-एक कर के लड़कियों ने आत्महत्या करना शुरू कर दिया. इस तरह 6-7 लड़कियों की खुदकुशी के बाद मामला संगीन हो गया. ऐसे ही हवा में तैरते हुए एक लड़की की अश्लील तस्वीर दैनिक नवज्योति अखबार के

एक पत्रकार संतोष गुप्ता के पास पहुंचीं. तस्वीर देखकर संतोष के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने फैसला किया कि वह इस मामले की तह तक जाएंगे.

ऐसे हुआ खुलासा

उन्होंने छात्राओं से बात करने की कोशिश की लेकिन छात्राएं सामने आने को तैयार नहीं थीं. हालांकि धीरे-धीरे भरोसा दिलाने और समझाने के बाद छात्राओं ने भी हिम्मत दिखाई और सामने आकर मामला दर्ज करवाया. संतोष ने अपने अखबार का इस्तेमाल किया और पहले पन्ने पर इस स्कैंडल की खबर छांप दी. उनके ऐसा करते ही पूरे अजमेर में बवाल मच गया. संतोष ने इस केस पर सीरीज शुरू कर दी और उनकी खबरों ने पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. खबर के साथ संतोष ने लड़कियों की वह अश्लील तस्वीरें भी छाप दीं जिसमें केवल आरोपियों का चेहरा दिख रहा था ताकि छात्राओं के साथ हो रहे यौन शोषण को खुली आंखों से देखा जा सके. फिर, पूरे राजस्थान में कोहराम मच गया और लोग सड़कों पर उतर आए.

चौतरफा दबाव के बाद शुरू हुई जांच

मामले के इस तरह सामने आने और उसको दबाए जाने के बाद आखिरकार चौतरफा दबाव के बीच 30 मई 1992 को भैरोंसिंह शेखावत ने केस सीआईडी सीबी के हाथों में सौंप दिया. इसके बाद इस मामले में अजमेर पुलिस ने भी रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच शुरू की गई. इस जांच में युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष फारूक चिश्ती, उपाध्यक्ष नफीस चिश्ती, संयुक्त सचिव अनवर चिश्ती, अलमास महाराज, इशरत अली, इकबाल खान, सलीम, जमीर, सोहेल गनी, पुत्तन इलाहाबादी, नसीम अहमद उर्फ टार्जन, परवेज अंसारी, मोहिबुल्लाह उर्फ मेराडोना, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, पुरुषोत्तम उर्फ जॉन वेसली उर्फ बबना और हरीश तोलानी नाम के अपराधियों के नाम सामने आए.

32 साल बाद आया फैसला

पीड़ित लड़कियों से पूछताछ और आरोपियों की पहचान के बाद पुलिस ने आठ आरिपियों को गिरफ्तार किया. इस केस का पहला निर्णय छह साल बाद आया, जिसमें अजमेर की अदालत ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई. कुछ समय बाद में कोर्ट ने चार आरोपियों की सजा कम कर दी गई. उन्हें उम्रकैद की बजाए दस साल जेल की सजा दी गई. इसके बाद राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. लगभग 32 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इस जघन्य कांड में दोषियों को सजा सुनाई गई जिसका इंतजार पीड़ितों के परिवारों को कब से था. बाकी बचे 7 में से 6 आरोपियों को दोषी मानते हुए अजमेर की विशेष न्यायालय ने उम्रकैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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