Rupee vs Dollar: मुंबई, न्यूयॉर्क या फिर शंघाई, रुपए ने किया रॉक, डॉलर हुआ धराशाई

Rupee vs Dollar - मुंबई, न्यूयॉर्क या फिर शंघाई, रुपए ने किया रॉक, डॉलर हुआ धराशाई
| Updated on: 16-Apr-2025 11:40 AM IST

Rupee vs Dollar: आजकल दुनिया की सबसे शक्तिशाली करेंसी, यानी डॉलर, रुपये के मुकाबले असहाय नजर आ रही है। यह देखकर हैरानी होती है कि तीन कारोबारी दिनों में रुपये ने डॉलर के मुकाबले लगातार मजबूती प्राप्त की है, और इसमें एक रुपये से भी ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। इस बदलाव का मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में वापसी और कई अन्य कारक हैं, जो रुपये को सहारा दे रहे हैं।

रुपये में मजबूती के कारण

अगर हम रुपये की बढ़त के कारणों पर गौर करें, तो इनमें सबसे महत्वपूर्ण कारक है विदेशी निवेशकों की शेयर बाजार में वापसी। इसकी वजह से भारतीय मुद्रा को एक महत्वपूर्ण समर्थन मिला है। इसके साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों का चार साल के निचले स्तर पर पहुंचना भी रुपये के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जब कच्चे तेल की कीमतें घटती हैं, तो भारत जैसे देशों में डॉलर की मांग कम होती है, और इससे रुपये को मजबूती मिलती है।

अमेरिकी करेंसी में कमजोरी भी रुपये के लिए फायदेमंद रही है। डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, हाल ही में गिरावट देखने को मिली। इसके अलावा, भारतीय शेयर बाजार भी इन दिनों मजबूती दिखा रहा है। बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में तेजी का माहौल है, जिससे रुपये में और अधिक मजबूती देखने को मिल रही है।

कच्चे तेल और अमेरिकी मुद्रा का प्रभाव

वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में बदलाव का असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ता है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भारतीय रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूत किया है। इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड की कीमत 4 साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है, जो रुपये के लिए एक अच्छा संकेत है। इस गिरावट ने भारत के व्यापार घाटे को कम करने में मदद की है, जिससे रुपये को समर्थन मिला है।

अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी और अन्य वैश्विक घटनाओं के कारण भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपनी स्थिति मजबूत की है। विदेशी मुद्रा व्यापारियों का मानना है कि भारतीय रुपये में अभी और मजबूती देखने को मिल सकती है, विशेष रूप से तब जब अमेरिकी डॉलर में गिरावट जारी रहती है।

एफआईआई निवेश और सरकारी आंकड़े

हाल ही में भारत के विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजार में बड़ी मात्रा में निवेश किया है। मंगलवार को एफआईआई ने 6,065.78 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी, जिससे रुपये को और ताकत मिली। इसके अलावा, भारत के थोक महंगाई दर में भी गिरावट आई है, जो रुपये के लिए सकारात्मक है। मार्च में थोक महंगाई 2.05 प्रतिशत तक घट गई, जो छह महीने का निचला स्तर है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई है, और रुपये को सहारा मिला है।

भारतीय निर्यात में सुधार

हालांकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ बनी हुई हैं, लेकिन भारतीय निर्यात में मार्च महीने में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली। भारतीय निर्यात में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और यह 41.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। इससे यह साफ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है, और इससे रुपये को और मजबूती मिल रही है।

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