Rajasthan News: राजस्थान में अब छात्रों की आत्महत्या रोकने का नया फॉर्मूला, स्प्रिंग वाले पंखों से बचेगी जान

Rajasthan News - राजस्थान में अब छात्रों की आत्महत्या रोकने का नया फॉर्मूला, स्प्रिंग वाले पंखों से बचेगी जान
| Updated on: 19-Aug-2023 12:37 AM IST
Rajasthan News: पिछले कुछ महीनों से राजस्थान के कोटा से आ रही छात्रों की खुदकुशी की खबरों ने हर किसी को हैरान कर दिया है. इसे रोकने के लिए कोटा जिला प्रशासन ने आदेश दिया है कि सभी हॉस्टल और पेइंग गेस्ट की सुविधा देने वाले घरों में स्प्रिंग वाले पंखे लगाए जाएं. ये पंखे स्प्रिंग के जरिए फिट किए जाते हैं, जिससे कि इन पर वजन पड़ते ही ये नीचे आ जाते हैं साथ ही इसमें अलार्म सिस्टम होता है जिससे अलार्म बज जाता है और छात्र की जान बच सकती है.

सवाल ये है कि आखिर गलती कहां हो रही है जो छात्र अपने सपने को साकार करने कोटा जाते हैं वो अपनी जान क्यों दे रहे हैं. ऐसी क्या मजबूरी है जो छात्रों को मानसिक रूप से इतना कमजोर कर रही है कि उन्हें आत्महत्या करना ज़्यादा आसान लगता है.

  • कोटा में इस महीने यानी अगस्त 2023 में तीन छात्रों ने खुदकुशी की है
  • साल 2023 में अबतक 8 महीनों में 22 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं
  • पुलिस के डाटा के मुताबिक साल 2022 में 15 छात्रों ने कोटा में आत्महत्या की थी
  • इससे पहले साल 2019 में और 2018 में 20 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं
क्या कहते हैं आंकड़े?

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक कोविड के दौर में साल 2020 और 2021 में छात्रों की खुदकुशी का एक भी मामला सामने नहीं आया था. जब भी कोई स्टूडेंट सुसाइड करता है तो कई सवाल उठते हैं. सवाल ये कि किस बात ने उसे सुसाइड जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए उकसाया. स्टूडेंट के मन में क्या चल रहा था. क्या उसने अपने घरवालों-रिश्तेदारों या दोस्तों से अपने दिमाग में चल रही उथल-पुथल के बारे में बताया था. क्या कोई उपाय था जिससे आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोका जा सकता था. आमतौर पर ये देखा गया है कि तनाव की कई वजहें होती हैं.

पहली वजह है एकेडमिक यानी पढ़ाई से जुड़ी. कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाई का तनाव होता है. दूसरे शहरों से यहां आए कई स्टूडेंट पढ़ाई की रफ्तार को झेल नहीं पाते. पढ़ाई में दूसरे बच्चों की तुलना में खुद को कमजोर महसूस करने लगते हैं. टेस्ट में नंबर कम आते हैं. परीक्षा में सेलेक्शन नहीं हो पाता और सारे रास्ते बंद होते दिखाई देते हैं ऐसे में सुसाइड के विचार आते हैं.

दूसरी वजह है अकेलापन. कोचिंग लेने वाले अधिकांश छात्रों की उम्र 16 से 18 साल होती है. इस उम्र में बहुत से मानसिक बदलाव आते हैं. बच्चा इन्हें समझ नहीं पाता. कोटा में वह अकेला हो जाता है. उसे समझाने वाला भी कोई नहीं रहता. इसकी वजह से तनाव बढ़ता है.

तीसरी वजह सबसे महत्वपूर्ण है जिसे माता-पिता को भी समझना चाहिए. माता-पिता की ओर से बच्चे पर बेहतर परफॉर्म करने का दवाब होता है, बेटे या बेटी को डॉक्टर औऱ इंजीनियर बनाने का सपना होता है और दूसरे छात्रों का उदाहरण देकर तुलना भी खूब की जाती है. इस वजह से छात्र मानसिक दबाव में आ जाते हैं.

कई मनोचिकित्सक ये भी मानते हैं कि परिवार से दूर होने की वजह से बच्चा ज़्यादा दबाव में आ जाता है क्योंकि भारत में ज्यादातर बच्चे 16-17 साल की उम्र तक माता-पिता और परिवार के साथ रहते हैं. उसके बाद वो कोटा जैसे शहरों में कोचिंग के लिए जाने पर अचानक अकेले हो जाते हैं. पढ़ाई का भारी बोझ पड़ता है जो बच्चे परिवार से भावनात्मक रूप से ज़्यादा जुड़े होते हैं वो इस दूरी और दबाव को झेल नहीं पाते और नतीजे खतरनाक होते हैं. इसलिए स्प्रिंग वाले पंखे समाधान का एक हिस्सा तो हो सकते हैं. लेकिन संपूर्ण समाधान नहीं हो सकते.

कोटा में किस तरह छात्रों और खासतौर पर उनके माता पिता के सपनों को पूरा करने का एक बड़ा बाजार है इसके बारे में भी आपको जानना चाहिए.

  • कोटा में 12 बड़े और 55 छोटे कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं
  • ये मेडिकल और इंजीनियरिंग एट्रेंस की तैयारी करवाते है
  • 1 साल में 1 छात्र के रहने-खाने का औसत खर्च 2 से 2.50 लाख
  • कोटा में 2 लाख से ज्यादा छात्र दूसरे राज्यों से आते है
एक अनुमान ये भी कहता है कि भारत में 23 IITs में 17 हज़ार 385 सीटें हैं. 32 NIT हैं जिनमें 23 हज़ार 954 सीट है लेकिन इसकी तैयारी और परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसलिए कॉम्पिटीशन ज़्यादा है और दबाव उससे भी ज़्यादा है. इस दबाव को झेलते हुए आगे बढ़ने के लिए छात्रों के साथ संवाद बढ़ाने और छात्रों को भरोसा देने की ज़रूरत है.

कुछ दिन पहले की बात है. राजस्थान के कोटा में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी कर रहे 17 साल के छात्र ने छात्रावास में कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. ये इस महीने का तीसरा मामला था. उसने खुदकुशी से पहले अपने पिता के लिए एक चिट्टी लिखी थी जिसमें उसने अपने पिता को जन्मदिन की बधाई दी थी. उसने अपने पिता को लिखा था सॉरी. ये शब्द अपने आप में बहुत कुछ कहता है.

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