Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को विधानसभा में पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को गहरी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी आंखों में छलकते आंसुओं ने न सिर्फ उनकी संवेदनशीलता को उजागर किया, बल्कि इस भीषण त्रासदी के प्रति पूरे कश्मीर के जज़्बातों का भी प्रतीक बन गए। उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "कोई भी कश्मीरी इस आतंकी हमले के साथ नहीं है। पहली बार कश्मीर एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़ा है।"
मुख्यमंत्री ने बताया कि कश्मीर की मस्जिदों में आतंकवाद के विरोध में मौन रखा गया, जो इस दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने इसे आतंक के अंत की एक नई शुरुआत बताया। पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए इस हमले में कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। उन्होंने कहा, "बच्चों ने अपने पिता को खून में लथपथ देखा है। इस दर्द को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।"
भावुक होते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, "इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मैंने पहले भी हमले देखे हैं, लेकिन बैसरन घाटी में 21 साल बाद इतनी बड़ी त्रासदी देखी गई है। मैं नहीं जानता कि पीड़ित परिवारों से कैसे माफी मांगूं। एक मेजबान के तौर पर मेरी जिम्मेदारी थी कि पर्यटकों को सुरक्षित घर वापस भेजूं, लेकिन मैं असफल रहा। आज मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं।"
सीएम ने आगे कहा कि इस हमले का कोई भी समर्थन नहीं करता है। "यह हमला हमारे दिलों को छलनी कर गया है। लेकिन हम इस अंधेरे में भी उम्मीद की एक किरण तलाश रहे हैं," उन्होंने कहा। उमर अब्दुल्ला ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पिछले 26 वर्षों में कभी भी कश्मीरियों को आतंकवाद के खिलाफ इतने संगठित तरीके से विरोध प्रदर्शन करते नहीं देखा गया था।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को अनंतनाग जिले के पहलगाम के निकट बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 17 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इस हमले में मारे गए और घायल हुए अधिकांश लोग पर्यटक थे, जो कश्मीर की वादियों में सुकून की तलाश में आए थे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे भयानक आतंकी घटना रही।