Jharkhand: Koderma में एक व्यक्ति का इतना बढ़ा परिवार कि बस गया पूरा गांव, 800 लोग हैं शामिल
Jharkhand - Koderma में एक व्यक्ति का इतना बढ़ा परिवार कि बस गया पूरा गांव, 800 लोग हैं शामिल
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Updated on: 23-Jul-2021 07:16 AM IST
रांची: देश में बढ़ती आबादी को कंट्रोल करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाए जाने पर चर्चा जारी है। कोई इसे देश के लिए सही बता रहा है तो कोई इसका विरोध कर रहा है। इन्हीं चर्चाओं के बीच झारखंड (Jharkhand) का एक गांव पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। जंगलों के बीच बसा यह गांव कभी निर्जन हुआ करता था। जिसमें एक व्यक्ति और उनकी पत्नी आकर बसे। आज इस गांव में उसी व्यक्ति के 800 वंशज बसे हुए हैं। मजे की बात ये है कि इनमें से 400 वोटर हैं यानी कि बालिग हैं।
कोडरमा जिले में बसा अनोखा गांवराज्य के कोडरमा (Koderma) जिले में नादकरी ऊपर टोला नाम के इस गांव में एक ही खानदान और संप्रदाय के लोग रहते हैं। ये सभी लोग उत्तीम मियां के वंश हैं। अब करीब 82 साल के हो चुके हकीम अंसारी कहते हैं कि उनके दादा उत्तम मियां 1905 में अपने पिता बाबर अली और पत्नी के साथ इस जगह आकर बसे थे। यहां आने से पहले वे झारखंड के ही गिरिडीह जिले के रेंबा बसकुपाय गांव में रहते थे। एक ही खानदान के 800 लोगों से बसा गांवहकीम अंसारी कहते हैं कि जब उनके दादा यहां आकर बसे तो इस जगह पर जंगल था। उन्होंने जंगल को साफ करके रहने और खेती लायक बनाया। उनके पांच बेटे मोहम्मद मियां, इब्राहिम मियां, हनीफ अंसारी, करीम बख्श और सदीक मियां पैदा हुए। इन पांच बेटों से उन्हें 26 बेटे और 13 बेटियां पैदा हुई। इन 26 बेटों के आगे चलकर 73 बेटे पैदा हुए। इस प्रकार खानदान के वारिस आगे बढ़ते रहे। उन्होंने बताया कि अब खानदान में कुल 800 लोग हैं। जो इसी गांव में रहते हैं। इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह पूरा गांव ही उत्तीम मियां के वंशजों का है। उत्तीम मियां के दूसरे पोते 70 वर्षीय मोइनुद्दीन अंसारी कहते हैं कि गांव में रोजगार का साधन खेतीबाड़ी है। खानदान के लोग धान, गेहूं, दलहन, मक्का व सब्जियों की खेती होती है। परिवार बढऩे के कारण खेती से सबका गुजारा नहीं हो पा रहा है। इसलिए खानदान के कुछ लोग आसपास के शहरों में रोजगार करने चले गए हैं। वहीं कुछ लोग सरकारी नौकरियों में भी सिलेक्ट हो गए हैं। गांव में दो मस्जिद, मदरसा, स्कूल आदि है। वे कहते हैं कि पहले लड़कियों की शादी आपस में खानदान के लड़कों से ही कर देते थे। लेकिन वे ज्यादा सफल नहीं हो पाई। जिसके चलते अब दूसरे गांवों में लड़कियां ब्याहने लगे हैं।
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