नई दिल्ली: बंद हो सकता है हमारा भारतीय कारोबार, स्थिति बेहद नाज़ुक: वोडाफोन

नई दिल्ली - बंद हो सकता है हमारा भारतीय कारोबार, स्थिति बेहद नाज़ुक: वोडाफोन
| Updated on: 13-Nov-2019 12:45 PM IST
वोडाफोन ने मंगलवार को कहा कि जब तक भारत सरकार ऊंचे करों और शुल्कों के साथ कंपनियों को निशाना बनाना जारी रखती है, तब तक उसका भविष्य भारत में संदिग्ध बना रह सकता है। हाल में लाइसेंस शुल्क पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के चलते कंपनी को पहली छमाही में 1.9 अरब यूरो का नुकसान हुआ है। वोडाफोन ने वर्ष 2018 में ही एक अन्य दूरसंचार कंपनी आइडिया सेल्युलर के साथ संयुक्त उपक्रम की स्थापना की थी।

वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) निक रीड ने कहा कि भारत ‘लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण’ बना हुआ है, लेकिन वोडाफोन आइडिया के पास अभी भी 30 करोड़ ग्राहक हैं जो बाजार के आकार के हिसाब से 30 फीसदी हैं। उन्होंने कहा, ‘विपरीत नियमों, अत्यधिक करों और उससे भी ज्यादा सुप्रीम कोर्ट के नकारात्मक फैसले के चलते कंपनी पर भारी वित्तीय बोझ है।’

रीड ने कहा कि वोडाफोन भारत में ज्यादा पूंजी लगाने के लिए कोई प्रतिबद्धता जाहिर नहीं कर रही है और कंपनी के शेयर मूल्य की तुलना में देश ने इसमें कोई योगदान नहीं किया है। अदालत के फैसले के बाद इस संयुक्त उपक्रम का मूल्य शून्य रह गया है। उसकी भारती एयरटेल के साथ भारत की टावर परिचालक कंपनी इंडस टावर्स में भी हिस्सेदारी है। स्पष्ट है कि भारत में राहत मिलने तक वोडाफोन भारत में कोई पूंजी नहीं लगाने जा रही है।

भारत की शीर्ष अदालत ने पिछले महीने दूरसंचार विभाग की लेवी और ब्याज के तौर पर 13 अरब डॉलर की मांग को वाजिब ठहराया था, जिससे वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल के शेयर को तगड़ा झटका लगा था।

वोडाफोन को 2007 में हचिसन एस्सार की 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए हुए 11 अरब डॉलर के सौदे को लेकर कर और विनियामकीय मुद्दों को लेकर मुकदमेबाजी का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं 2016 में नई कंपनी रिलायंस जियो के आने से शुरू हुई प्राइसवार ने वोडाफोन की मुश्किलें खासी बढ़ा दी थीं। इसके बाद 2018 में हुए एक सौदे के तहत वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर के परिचालन का विलय हो गया।

यूके में कर्ज के बोझ से दबी है वोडाफोन

वोडाफोन भारत में उसके खिलाफ और रिलायंस जियो के पक्ष में हुए कई नीतिगत फैसलों से खासी नाखुश है। कंपनी के शेयरधारक वोडाफोन आइडिया के मूल्य को पहले ही बट्टे खाते में डाल चुके हैं और यदि कंपनी बंद हो जाती है तो इसे आसानी से स्वीकार किया जाना चाहिए। वोडाफोन अपने घरेलू बाजार यूके में भी भारी कर्ज के बोझ से दबी हुई है और उसके लिए भारत में अतिरिक्त निवेश करना खासा मुश्किल होगा।

सरकार से मांगा था राहत पैकेज

वोडाफोन ने सरकार से स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए दो साल का वक्त, लाइसेंस शुल्क में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ब्याज और जुर्माने में छूट सहित एक राहत पैकेज की मांग की थी। वोडाफोन दुनिया की दूसरी बड़ी मोबाइल ऑपरेटर है और स्पेन व इटली में सुधार के संकेतों से उसके राजस्व में लगातार सुधार हो रहा है। कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली छमाही में उसके सेवा राजस्व में 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। वहीं कंपनी ने मुश्किल दौर को देखते हुए पहली बार मई में अपने लाभांश में कटौती की थी।

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