कोरोना वायरस: कोविड-19 से उबरे मरीज़ों को स्टडी के लिए दोबारा संक्रमित करेगी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी

कोरोना वायरस - कोविड-19 से उबरे मरीज़ों को स्टडी के लिए दोबारा संक्रमित करेगी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
| Updated on: 19-Apr-2021 04:40 PM IST
लंदन. दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) को मात देने के लिए इन दिनों वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन वैक्सीन की दो डोज़ लगने के बाद भी कई लोग कोरोना से दोबारा संक्रमित हो रहे हैं. हालांकि ऐसे लोगों पर वायरस का असर कम दिखता है. अब वैक्सीन को और ज्यादा असरदार बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने नए सिरे से तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके तहत ऐसे लोगों के शरीर मे ज़िदा वायरस डाला जाएगा जो पहले कोरोना से ठीक हो चुके हैं. बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ही एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन तैयार की है, जिसे भारत में कोवाशिल्ड के नाम से जाना जाता है.

समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग के मुताबिक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों को ऐसे 64 स्वस्थ वॉलेंटियर की तलाश है जो पहले कोरोना को मात दे चुके हैं. ऐसे लोगों की उम्र 18-30 साल के बीच होनी चाहिए. यूनिवर्सिटी के मुताबिक इन सभी लोगों के शरीर में कोरोना वायरस की वुहान स्ट्रेन डाली जाएगी. बता दें कि साल 2019 में कोरोना वायस के शुरुआती मामले सबसे पहले चीन के वुहान शहर में ही आए थे.

कैसे की जाएगी स्टडी

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक जिन 64 लोगों में कोरोना वायरस की स्ट्रेन दोबारा डाली जाएगी उन्हें 17 दिनों तक क्वारंटीन में रखा जाएगा. कहा जा रहा है कि कुछ महीनों में ही इस स्टडी की रिपोर्ट आ जाएगी. इसके नतीजों से वैज्ञानिकों को और असरदार वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा ये भी पता चलेगा कि कितने दिनों में दोबारा किसी मरीज़ में कोरोना वायरस का संक्रमण हो रहा है. हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि 10 फीसदी वयस्कों में कोरोना का दोबारा संक्रमण हो रहा है.

वैज्ञानिकों की चिंता

ऑक्सफोर्ड ने कहा है कि अध्ययन के तहत ये पता लगाया जाएगा कि कोई शख्स दोबोरा औसतन कितने दिनों बाद वायरस से संक्रमित हो रहा है. अध्ययन के दूसरे चरण में, रोगियों के एक अलग समूह को खुराक दी जाएगी और उनकी इम्यूनिटी का अध्ययन किया जाएगा. हालांकि दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि दोबारा किसी के शरीर में वायरस के डालने से खतरा बढ़ सकता है. उनका कहना है कि लंबे समय तक इसका शरीर पर क्या असर होगा इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है.

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