Asim Munir News: पाकिस्तान में संविधान संशोधन- असीम मुनीर को सौंपी गई तीनों सेनाओं और परमाणु केंद्र की कमान, बनाए गए CDF
Asim Munir News - पाकिस्तान में संविधान संशोधन- असीम मुनीर को सौंपी गई तीनों सेनाओं और परमाणु केंद्र की कमान, बनाए गए CDF
पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बदलाव के बाद अपने सैन्य नेतृत्व में एक नया अध्याय शुरू किया है और 27वें संविधान संशोधन के लागू होते ही, सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक परिदृश्य में एक अभूतपूर्व बदलाव का प्रतीक है, जो मुनीर को अभूतपूर्व शक्तियां प्रदान करती है और उनके कार्यकाल को काफी बढ़ा देती है।
शक्तियों का अभूतपूर्व विस्तार
इस नई भूमिका के साथ, जनरल असीम मुनीर अब थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर बन गए हैं। यह एक महत्वपूर्ण केंद्रीकरण है जो उन्हें पाकिस्तान की सैन्य शक्ति के शीर्ष पर स्थापित करता है। इसके अलावा, उन्हें देश के पूरे परमाणु हथियार कार्यक्रम का एकमात्र नियंत्रण भी सौंप दिया गया है, जो उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहलुओं पर पूर्ण अधिकार देता है। यह कदम पाकिस्तान की रक्षा रणनीति और परमाणु सिद्धांत के संचालन में सीडीएफ की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करता है।कार्यकाल विस्तार और आजीवन कानूनी सुरक्षा
सीडीएफ का पद एक तयशुदा पांच वर्ष के कार्यकाल के साथ आता है। इस प्रावधान के चलते, जनरल मुनीर का कार्यकाल, जो पहले 27 नवंबर 2027 को समाप्त होने वाला था, अब कम से कम नवंबर 2030 तक बढ़ गया है। यह विस्तार उन्हें एक लंबी अवधि के लिए देश की रक्षा नीतियों और सैन्य संरचनाओं को आकार देने का अवसर देता है और इसके अतिरिक्त, उन्हें राष्ट्रपति के बराबर आजीवन कानूनी उन्मुक्ति प्रदान की गई है, जो उन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही से सुरक्षा देती है। वायुसेना और नौसेना प्रमुखों को भी इसी तरह की सुरक्षा मिली है, जो सैन्य नेतृत्व के लिए एक मजबूत कानूनी कवच प्रदान करती है।संस्थागत बदलाव और सीजेसीएससी का अंत
इस संवैधानिक संशोधन ने 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा बनाए गए चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के पद को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक बदलाव है जो पाकिस्तान की सैन्य कमान संरचना को मौलिक रूप से बदल देता है। मौजूदा सीजेसीएससी जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिससे यह पद आधिकारिक तौर पर इतिहास का हिस्सा बन जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य सैन्य कमान को एक ही व्यक्ति के अधीन। लाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना प्रतीत होता है।परमाणु कमान पर पूर्ण नियंत्रण
परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड (एनएससी) के कमांडर की नियुक्ति अब सीडीएफ की सलाह पर सेना से ही होगी। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि परमाणु कमान के महत्वपूर्ण पद पर सीडीएफ का सीधा प्रभाव रहेगा। पहले तीनों सेनाओं का समग्र नियंत्रण राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के पास था, लेकिन अब यह अधिकार पूरी तरह से सीडीएफ के पास आ गया है, जिससे सैन्य मामलों में नागरिक सरकार की भूमिका काफी कम हो गई है। यह बदलाव पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के प्रबंधन और नियंत्रण में सीडीएफ की सर्वोच्चता को स्थापित करता है।वीसीओएएस की नियुक्ति में भी दखल
वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (वीसीओएएस) की नियुक्ति का प्रस्ताव अब सीडीएफ देगा, और सरकार केवल औपचारिक मंजूरी देगी। यह एक और महत्वपूर्ण बदलाव है जो नागरिक सरकार के पारंपरिक अधिकारों को कम करता है। पहले यह अधिकार पूरी तरह से नागरिक सरकार के पास था, लेकिन अब सीडीएफ को इस महत्वपूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका दी गई है। यह सैन्य नेतृत्व के भीतर सीडीएफ की शक्ति और प्रभाव को और मजबूत करता है, जिससे सेना के आंतरिक मामलों में भी उनकी पकड़ मजबूत होती है।'पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली शख्स'
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और रक्षा विश्लेषक नईम खालिद लोधी ने इस विकास पर टिप्पणी करते। हुए कहा, “फील्ड मार्शल असीम मुनीर आज पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं। राजनेताओं ने अपने छोटे-मोटे फायदों के लिए देश के भविष्य को दांव पर लगा दिया। ” यह बयान इस बात पर प्रकाश डालता है कि इस संवैधानिक बदलाव को पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में कैसे देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि मुनीर को अब उतनी ही ताकत हासिल हो गई है, जितनी 1999 में तख्तापलट करने वाले जनरल परवेज मुशर्रफ के पास थी। मुनीर के पास अब एक आज्ञाकारी प्रधानमंत्री और सेना की पूरी संरचना बदलने का अधिकार है, जो उन्हें देश के भाग्य पर गहरा प्रभाव डालने की क्षमता देता है।असीम मुनीर का करियर और फील्ड मार्शल का दर्जा
जनरल असीम मुनीर नवंबर 2022 में सेना प्रमुख बने थे। इससे पहले, वह आईएसआई प्रमुख और डायरेक्टर जनरल मिलिट्री इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, जो उनकी व्यापक सैन्य और खुफिया अनुभव को दर्शाता है। इस साल मई में भारत के साथ चार दिन की सैन्य झड़प के बाद उन्हें फील्ड मार्शल का आजीवन दर्जा दिया गया था, जो उनकी सैन्य सेवाओं और नेतृत्व के लिए एक उच्च सम्मान है। यह दर्जा उनकी स्थिति को और मजबूत करता है और उन्हें पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाता है।पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय
इन सभी परिवर्तनों के साथ, पाकिस्तान अब बिना किसी प्रत्यक्ष सैन्य तख्तापलट के अपने इतिहास के सबसे शक्तिशाली सैन्य दौर में प्रवेश कर चुका है। यह स्थिति देश के लोकतांत्रिक संस्थानों और नागरिक-सैन्य संबंधों के लिए दूरगामी निहितार्थ रखती है और सीडीएफ के रूप में जनरल मुनीर की नियुक्ति और उन्हें दी गई व्यापक शक्तियां पाकिस्तान के भविष्य की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगी, जिससे सैन्य नेतृत्व की भूमिका पहले से कहीं अधिक केंद्रीय हो जाएगी।