Pakistan News: पाकिस्तान को लग गई 3 साल की सबसे बड़ी चोट, टूट गए सारे सपने
Pakistan News - पाकिस्तान को लग गई 3 साल की सबसे बड़ी चोट, टूट गए सारे सपने
Pakistan News: पाकिस्तान, जो कभी चीन की गोद में बैठकर और अमेरिका की मदद से खुद को क्षेत्रीय शक्ति मानने की गलती कर बैठा था, अब अपने ही झूठे आत्मविश्वास की दीवारों के ढहने से बुरी तरह हिल चुका है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को तीन साल की सबसे बड़ी चोट लगी है। इस आर्थिक झटके ने पाकिस्तान की योजनाओं और विदेश नीति के सभी अनुमान एक झटके में नष्ट कर दिए हैं।
तीन साल की सबसे बड़ी गिरावटपाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में केवल एक सप्ताह में 2.66 बिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। 20 जून को खत्म सप्ताह में यह भंडार घटकर 9.06 बिलियन डॉलर रह गया। यह तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट है, जो इससे पहले मार्च 2022 में देखी गई थी।इस भारी गिरावट के चलते SBP का भंडार 11 महीनों के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। कुल मिलाकर पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 14.39 बिलियन डॉलर का तरल विदेशी भंडार है, जिसमें से 5.33 बिलियन डॉलर वाणिज्यिक बैंकों के पास जमा हैं।क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट?इस गिरावट की बड़ी वजह रही है सरकार के कर्ज चुकाने की मजबूरी। पाकिस्तानी सरकार (GOP) को विदेशी कर्ज, खासकर वाणिज्यिक कर्जों का भुगतान करना पड़ा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर सीधा असर पड़ा।हालांकि, SBP ने यह भी कहा कि उसे जल्द ही सरकार की ओर से 3.1 बिलियन डॉलर के कमर्शियल लोन और 500 मिलियन डॉलर से अधिक के बहुपक्षीय लोन प्राप्त होंगे। ये फंड 27 जून को समाप्त सप्ताह के विदेशी मुद्रा भंडार में जोड़े जाएंगे।क्या FX टारगेट हासिल कर पाएगा पाकिस्तान?SBP के गवर्नर जमील अहमद ने इस साल अप्रैल में कहा था कि जून 2025 तक विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाकर 14 बिलियन डॉलर किया जाएगा। पहले यह अनुमान 13 बिलियन डॉलर का था। हालांकि मौजूदा गिरावट ने इस लक्ष्य को काफी हद तक असंभव बना दिया है।आरिफ हबीब लिमिटेड की रिसर्च हेड सना तौफीक के अनुसार, जून के अंत तक 14 बिलियन डॉलर तक पहुंचना मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। फिर भी जिस तेज़ी से भंडार गिरा है, उसने पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक रीढ़ को उजागर कर दिया है।न चीन बचा सका, न अमेरिका का सहारा काम आयापाकिस्तान लंबे समय से खुद को चीन की ‘आर्थिक बेल्ट’ और अमेरिका के ‘रणनीतिक साथी’ के रूप में पेश करता रहा है, लेकिन इस ताजा आर्थिक चोट ने यह साफ कर दिया कि न तो चीन इस संकट में कोई ठोस राहत दे पाया, और न ही अमेरिका ने कोई बड़ी मदद की।अब पाकिस्तान को आत्मनिर्भरता की ओर गंभीरता से कदम बढ़ाने होंगे, वरना अगली चोट शायद उसकी व्यवस्था को और भी गहरा जख्म दे सकती है।