जम्मू-कश्मीर: 8 महीने में मारे गए 24 पाकिस्तानी आतंकी, इनके शव बने '3 सबूत'

जम्मू-कश्मीर - 8 महीने में मारे गए 24 पाकिस्तानी आतंकी, इनके शव बने '3 सबूत'
| Updated on: 24-Dec-2021 10:06 PM IST
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान का समर्थन बेरोकटोक जारी है। केंद्र शासित प्रदेश में पिछले आठ महीने में कुल 24 पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए हैं जो कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि घाटी में आंतक को पाकिस्तान का लगातार समर्थन मिल रहा है। इन 24 आतंकियों में आठ का जम्मू क्षेत्र में एनकाउंटर किया गया है जबकि 16 कश्मीर क्षेत्र में मारे गए हैं। इन सभी आतंकियों के बारे में पता चला है कि ये सभी पाकिस्तान से थे।

ये आतंकी श्रीनगर, पुंछ, पुलवामा, राजौरी, अनंतनाग, बारामूला में एनकाउंटर में मारे गए हैं और इनमें से ज्यादातर या तो लश्कर के हैं या फिर जैश से संबंधित रहे। इसके अलावा कुछ अज्ञात भी थे। इन आतंकियों के बारे में मिली जानकारी के मुख्य रूप से तीन बातों पर मुहर लगाती है, जिसमें पहला है पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लंबे दावों के बावजूद आतंकवाद को पाकिस्तान का समर्थन जारी है। दूसरा, कशर्मी और जम्मू दोनों में नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ जारी है, तीसरा यह कि पाकिस्तान में संचालित होने वाले मुख्य ग्रुप लश्कर और जैश ही हैं।

19 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस, 24 राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान में सैफुल्ला उर्फ ​​अबू खालिद उर्फ ​​शवाज नाम का एक आतंकवादी मारा गया। वह पाकिस्तान के कराची का निवासी था और 2016 से घाटी में सक्रिय था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, सैफुल्ला का घाटी में नागरिकों की हत्या सहित आतंकी मामलों का इतिहास रहा है।

कश्मीर के आईजीपी ने कहा था कि 2016 में घुसपैठ के बाद अबू खालिद हरवान के सामान्य इलाके में सक्रिय था। मई और दिसंबर के बीच मारे गए आतंकवादियों के विवरण से पता चलता है कि ये सभी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से संबंधित थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में संसद के हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में राज्यसभा को सूचित किया है कि अगस्त 2019 से घाटी में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के बारे में बताते हुए सरकार ने कहा था कि साल 2018 में 417, 2019 में 255, 2020 में 244 घटनाएं हुई थी जबकि 2021 (30 नवंबर तक) में 203 घटनाएं दर्ज हुई हैं। वहीं, घुसपैठ की बात करें तो साल 2018 में 143 घटनाएं हुईं थी जबकि 2021 में (31 अक्टूबर तक) मात्र 28 घटनाएं हुई हैं। 

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