Mutual Funds Return: पत्नी के नाम SIP पर टैक्स: जानें क्या हैं नियम और कानून

Mutual Funds Return - पत्नी के नाम SIP पर टैक्स: जानें क्या हैं नियम और कानून
| Updated on: 16-Nov-2025 05:00 PM IST
बीते कुछ सालों में भारतीय वित्तीय बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है, जहां म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में काफी तेज बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि न केवल बड़े निवेशकों तक सीमित है, बल्कि इसमें छोटे निवेशकों और महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। देश की कामकाजी महिलाएं अब वित्तीय स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ा। रही हैं और म्यूचुअल फंड में बढ़-चढ़कर निवेश कर रही हैं। इसके साथ ही, एक और दिलचस्प प्रवृत्ति सामने आई है, जहां कई नौकरीपेशा और अपना व्यवसाय करने वाले पुरुष अपनी पत्नी के नाम से भी म्यूचुअल फंड एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश कर रहे हैं। यदि आप भी अपनी वाइफ के नाम से म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने का प्लान। बना रहे हैं, तो आपको इससे जुड़े टैक्स के नियमों के बारे में स्पष्ट जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

भारतीय बाजार का वर्तमान परिदृश्य और निवेशक भावना

भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में गिरावट के एक लंबे दौर के बाद अच्छी रिकवरी दिखाई है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है और हालांकि, इस साल भारतीय बाजार का प्रदर्शन अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में थोड़ा फीका रहा है, लेकिन बाजार के दिग्गज विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय बाजार में जल्द ही एक मजबूत तेजी देखने को मिलेगी। बाजार में जारी इस उठा-पटक का सीधा असर निवेशकों के म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो पर भी साफतौर पर देखने को मिला है। इसके बावजूद, लॉन्ग टर्म में निवेश करने वाले निवेशक इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं, क्योंकि वे बाजार की अल्पकालिक अस्थिरता को निवेश यात्रा का एक सामान्य हिस्सा मानते हैं और ऐसे में, निवेश के नियमों और खास तौर पर टैक्स प्रावधानों को समझना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

पत्नी के नाम से निवेश: टैक्स नियमों की आवश्यकता

कई पुरुष अपनी पत्नी के नाम से म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करने का विकल्प चुनते हैं। इसके पीछे विभिन्न व्यक्तिगत और वित्तीय कारण हो सकते हैं। हालांकि, इस तरह के निवेश को करते समय, यह समझना बेहद जरूरी है कि निवेश किसके नाम पर है और उस पर लागू होने वाले टैक्स के नियम क्या हैं। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या पत्नी के नाम से किए गए निवेश पर टैक्स के नियम अलग होते हैं या इसमें कोई विशेष छूट मिलती है। इन सभी शंकाओं का समाधान करने के लिए, हमें म्यूचुअल फंड रिटर्न पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स के प्रावधानों को विस्तार से समझना होगा।

म्यूचुअल फंड रिटर्न पर कैपिटल गेन्स टैक्स

म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करने से जो रिटर्न मिलता है, उस पर कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। कैपिटल गेन्स टैक्स को मुख्य रूप से दो तरह से क्लासिफाई किया गया है: शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG)। यह वर्गीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को कितने समय तक अपने पास रखा और कब बेचा। इक्विटी और डेट फंड्स के लिए ये नियम थोड़े भिन्न होते हैं, जिन्हें समझना आवश्यक है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर कराधान

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर कैपिटल गेन्स टैक्स के नियम इस प्रकार हैं: यदि आप एक साल के अंदर अपने इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचकर पैसा निकालते हैं, तो आपको 20 प्रतिशत का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा। यह उन निवेशकों पर लागू होता है जो त्वरित लाभ कमाने के उद्देश्य से निवेश करते हैं या जिन्हें आपातकालीन स्थिति में फंड निकालने की आवश्यकता पड़ती है। वहीं, यदि आप 1 साल के बाद अपने इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स बेचकर पैसा निकालते हैं, तो आपको 12. 5 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा। यह दर उन निवेशकों के लिए है जो लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं और बाजार की अस्थिरता से अप्रभावित रहते हुए अपने निवेश को बढ़ने का समय देते हैं।

डेट फंड्स पर कराधान के नियम

इक्विटी फंड्स के विपरीत, डेट फंड्स पर कराधान के नियम थोड़े अलग होते हैं और डेट फंड्स से होने वाले लाभ पर आपको अपने व्यक्तिगत टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स चुकाना होता है। इसका मतलब है कि आपकी कुल आय के आधार पर जिस टैक्स ब्रैकेट में आप आते हैं, उसी दर से डेट फंड्स से होने वाले कैपिटल गेन्स पर भी टैक्स लगेगा और यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि डेट फंड्स से होने वाली आय को आपकी अन्य आय के साथ जोड़कर कर योग्य बनाया जाए।

पुरुषों और महिलाओं के लिए समान टैक्स नियम

यह समझना सबसे महत्वपूर्ण है कि म्यूचुअल फंड्स में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए टैक्स के नियम एक जैसे हैं और भारतीय कर कानून लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है जब बात म्यूचुअल फंड निवेश से होने वाले कैपिटल गेन्स पर टैक्स की आती है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि अगर आप अपनी वाइफ के नाम से एसआईपी करते हैं, तो तब भी आपको उतना ही टैक्स चुकाना पड़ेगा, जितना एक सामान्य व्यक्ति को चुकाना होता है। निवेश किसके नाम पर है, इससे टैक्स की दर या गणना में कोई बदलाव नहीं आता है। इसलिए, पत्नी के नाम पर निवेश करने से कोई विशेष टैक्स लाभ नहीं मिलता है, और लागू होने वाले नियम वही रहते हैं जो किसी अन्य व्यक्तिगत निवेशक पर लागू होते हैं।

निष्कर्ष: सूचित निवेश का महत्व

म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय, चाहे वह अपने नाम पर हो या। पत्नी के नाम पर, टैक्स के नियमों की पूरी जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है। यह आपको अपने निवेश की योजना बनाने और भविष्य के लिए बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में मदद करेगा। बाजार की गतिशीलता और कर कानूनों को समझकर ही निवेशक अपने पोर्टफोलियो को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं और अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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