Champions Trophy 2025: PCB की अकड़ पड़ेगी उसे ही भारी, चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी छिन सकती है

Champions Trophy 2025 - PCB की अकड़ पड़ेगी उसे ही भारी, चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी छिन सकती है
| Updated on: 11-Nov-2024 08:55 PM IST
Champions Trophy 2025: साल 2021 की बात है, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के तत्कालीन चेयरमैन रमीज राजा ने एक बैठक में सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत चाहे तो PCB को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है। इसका कारण यह बताया गया कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की 90% आय भारतीय कंपनियों से आती है, और इस आर्थिक निर्भरता का असर क्रिकेट जगत में भी पड़ सकता है। यह बयान रमीज राजा की इस समझ का प्रतीक था कि क्रिकेट की वैश्विक व्यवस्था में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है।

आज इस बात को याद करने का एक खास कारण है। PCB के मौजूदा चेयरमैन मोहसिन नकवी हैं, जो इस कटु सत्य से मुंह मोड़े हुए हैं। उनकी कोशिश है कि 2025 में प्रस्तावित चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी सिर्फ पाकिस्तान में हो। ICC की ओर से हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें टूर्नामेंट दो देशों में हो सकता है, लेकिन मोहसिन नकवी इस पर सहमत नहीं हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की सोच स्पष्ट है कि भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं जाएगी, और यह नीति 2008 से चली आ रही है। यह निर्णय भारत के आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने का परिणाम है, और इसी कारण से भारत ने पाकिस्तान का दौरा करना बंद कर दिया।

BCCI की कूटनीति और विश्व क्रिकेट में उसकी भूमिका

BCCI ने विश्व क्रिकेट में एक बड़ी भूमिका निभाई है। आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण, BCCI ने अन्य बोर्ड्स के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। उसने द्विपक्षीय सीरीज खेली, जिससे छोटे क्रिकेट बोर्ड्स की वित्तीय स्थिति सुधरी। 2009 में श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद, BCCI चाहता तो पाकिस्तान को ICC इवेंट्स की मेजबानी से वंचित कर सकता था, लेकिन उसने कभी ऐसा कदम नहीं उठाया। इसका मतलब साफ है कि BCCI का रुख आतंकवाद को लेकर तो सख्त है, लेकिन उसने क्रिकेट को हमेशा राजनीति से दूर रखने की कोशिश की है।

ICC में जय शाह की भूमिका

दिसंबर में BCCI के सचिव जय शाह ICC के चेयरमैन का पद संभालेंगे। इससे ICC में भारत का प्रभाव और बढ़ेगा। जय शाह ने 2023 में एशिया कप के दौरान हाइब्रिड मॉडल का समर्थन किया था, जिसमें पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों देशों को मेजबानी मिली थी। अब चैंपियंस ट्रॉफी में भी उनका रुख यही हो सकता है। ICC के अन्य सदस्य देश जैसे श्रीलंका और UAE चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी के लिए तैयार होंगे, जो PCB के लिए एक चुनौती बन सकता है।

PCB को बदलते समय के साथ तालमेल बैठाने की जरूरत

चैंपियंस ट्रॉफी के लिए PCB ने अरबों रुपये खर्च कर अपने स्टेडियमों का पुनर्निर्माण कराया है। PCB को समझना चाहिए कि यह समय ICC के साथ तालमेल बिठाने का है। यदि PCB अपनी जिद छोड़ कर टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल में कराने पर सहमति देता है, तो यह उनके लिए फायदेमंद होगा। इससे उनकी मेजबानी की साख भी बढ़ेगी, और यह साबित होगा कि पाकिस्तान में भी बड़े टूर्नामेंट्स का सफल आयोजन हो सकता है।

PCB को चाहिए कि वे क्रिकेट को राजनीति से अलग रखें और BCCI के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें। यदि PCB अपने ही पूर्व चेयरमैन रमीज राजा की बात को समझे और समय की नजाकत को देखते हुए निर्णय ले, तो यह उनके हित में होगा।

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