Lord Shiva Divine Bow Pinaka: पिनाका रॉकेट: त्रेतायुग के दिव्य धनुष की शक्ति, अब पाकिस्तान तक पहुंचाएगी भारत की मारक क्षमता

Lord Shiva Divine Bow Pinaka - पिनाका रॉकेट: त्रेतायुग के दिव्य धनुष की शक्ति, अब पाकिस्तान तक पहुंचाएगी भारत की मारक क्षमता
| Updated on: 30-Dec-2025 11:58 AM IST
आधुनिक भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक पिनाका रॉकेट, त्रेतायुग के दिव्य धनुष पिनाक की याद दिलाता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में 120 किमी मारक क्षमता वाले पिनाका। लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR 120) का पहला सफल परीक्षण कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत से प्रेरणा लेती है। इस रॉकेट का नाम भगवान शिव के अजेय धनुष 'पिनाक' के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं में शक्ति, विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक है।

आधुनिक पिनाका रॉकेट की बढ़ती मारक क्षमता

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR 120) का पहला सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया है। इस उन्नत रॉकेट प्रणाली की मारक क्षमता अब 120 किलोमीटर तक पहुंच गई है, जो इसकी पिछली क्षमताओं से कहीं अधिक है। यह बढ़ी हुई रेंज भारतीय सेना को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, जिससे वे दुश्मन के ठिकानों को अधिक दूरी से निशाना बना सकते हैं। इस नई क्षमता के साथ, पिनाका रॉकेट अब भारतीय सीमा से पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और सियालकोट जैसे प्रमुख शहरों को सटीकता से निशाना बनाने में सक्षम है, जो भारत की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। यह परीक्षण भारत की आत्मनिर्भरता और सैन्य प्रौद्योगिकी में उसकी बढ़ती विशेषज्ञता का प्रमाण है।

त्रेतायुग की शक्ति का पुनरुत्थान

पिनाका नाम सुनते ही भारतीय पौराणिक कथाओं में शक्ति, विनाश और धर्म की रक्षा की तस्वीर उभर आती है। त्रेतायुग में जिस दिव्य धनुष की टंकार से आसुरी शक्तियां थर-थर कांपती थीं, आज आधुनिक भारत ने उसी शक्ति को रॉकेट के रूप में पुनर्जीवित कर दिया है। यह आधुनिक भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर इसका नाम हमें त्रेतायुग और भगवान शिव की दिव्य लीलाओं की याद दिलाता है। यह नामकरण भारत की जड़ों से जुड़ाव और उसकी सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान। को भी दर्शाता है, जहां प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम होता है। पिनाका रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के दिव्य धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर रखा गया है और पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिनाक भगवान शिव का दिव्य धनुष था, जो अजेय और अत्यंत शक्तिशाली था। इसी धनुष से उन्होंने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर ने अपने अत्याचारों से पूरे ब्रह्मांड में आतंक मचा रखा था और देवता भी उससे भयभीत थे। भगवान शिव ने पिनाक को धारण कर एक ही बाण से त्रिपुरासुर का संहार किया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में शांति स्थापित हुई। यह घटना भगवान शिव की सर्वोच्च शक्ति और न्यायप्रियता का प्रतीक है, जिसने धर्म की स्थापना के लिए अधर्म का नाश किया।

धर्म की रक्षा का प्रतीक पिनाक

यही कारण है कि पिनाक को विनाश के साथ-साथ धर्म की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। यह केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारतीय पौराणिक परंपरा में शक्ति और धर्म का प्रतीक है। इसकी टंकार मात्र से ही आसुरी शक्तियां थर-थर कांप उठती थीं, जो इसकी अपार शक्ति का प्रमाण था। आधुनिक पिनाका रॉकेट भी इसी भावना को दर्शाता है – यह भारत की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है, जो किसी भी खतरे का सामना करने और देश की संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है। यह नामकरण भारत के सैन्य उपकरणों को एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गहराई प्रदान करता है।

राजा जनक से सीता स्वयंवर तक की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिपुरासुर वध के बाद यह दिव्य धनुष राजा जनक के पूर्वज देवरात को प्राप्त हुआ। यह धनुष पीढ़ियों तक मिथिला के राजाओं के पास रहा और समय के साथ यह मिथिला में सुरक्षित रखा गया और इसकी विशालता और भारीपन के कारण इसे उठाना तो दूर, हिलाना भी असंभव माना जाता था। यह धनुष मिथिला की पहचान और उसकी शक्ति का प्रतीक बन गया। था, जिसे कोई भी साधारण व्यक्ति छूने की हिम्मत नहीं कर सकता था।

भगवान श्रीराम की शक्ति का प्रदर्शन

सीता स्वयंवर के दौरान राजा जनक ने एक असाधारण शर्त रखी कि जो इस धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही उनकी पुत्री सीता से विवाह करेगा। अनेक पराक्रमी राजाओं और राजकुमारों ने प्रयास किया, लेकिन कोई भी इस धनुष को हिला भी नहीं सका। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने पिनाक को उठाया ही नहीं, बल्कि प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष को तोड़ दिया, जिससे सीता स्वयंवर पूरा हुआ और यह घटना भगवान राम की अद्वितीय शक्ति, दिव्यता और उनके धर्मपरायण स्वभाव का प्रतीक मानी जाती है, जिसने एक असंभव कार्य को संभव कर दिखाया और धर्म की स्थापना में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

शिव धनुष पिनाक का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पिनाक भगवान शिव के उस धनुष का नाम है जिसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था, जो देवताओं के वास्तुकार थे। शिव के ‘पिनाकी’ नाम का अर्थ ही है, वह जो पिनाक धनुष को धारण करते हैं। यह धनुष इतना भारी और शक्तिशाली था कि इसे देवता भी नहीं हिला सकते थे। इसलिए इसे केवल एक लकड़ी का ढांचा नहीं, बल्कि शिव की इच्छाशक्ति और न्याय की शक्ति का पुंज माना गया है और यह धनुष ब्रह्मांड में संतुलन बनाए रखने और अधर्म का नाश करने की शिव की क्षमता का प्रतीक है, जो इसे केवल एक हथियार से कहीं अधिक बनाता है।

आधुनिक भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव

पिनाका रॉकेट का यह सफल परीक्षण न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत से प्रेरणा लेती है और यह भारत की दोहरी शक्ति का प्रतीक है – तकनीकी कौशल और आध्यात्मिक गहराई। यह रॉकेट प्रणाली भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाती है, साथ ही यह भी याद दिलाती है कि हमारी पहचान हमारी प्राचीन परंपराओं और मूल्यों में निहित है। यह वैश्विक मंच पर भारत की एक मजबूत और आत्मविश्वासी छवि प्रस्तुत करता है, जो अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है और भविष्य के लिए तैयार है।

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