इंडिया: थाईलैंड दौरे के लिए PM मोदी रवाना, ASEAN और RCEP समिट में करेंगे शिरकत

इंडिया - थाईलैंड दौरे के लिए PM मोदी रवाना, ASEAN और RCEP समिट में करेंगे शिरकत
| Updated on: 02-Nov-2019 12:28 PM IST
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड यात्रा के लिए शनिवार सुबह लगभग 10 बजे रवाना हुए. पीएम मोदी 2 से 4 नवंबर तक थाईलैंड दौरे पर रहेंगे, जहां वह ASEAN और RCEP समिट में शिरकत करेंगे. दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, कनेक्टिविटी समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी.

पीएम मोदी आज दोपहर लगभग 1:50 बजे बैंकॉक के रॉयल थाई एयरफोर्स बेस पहुंचेंगे. शाम 6 बजे वह बैंकॉक में नेशनल स्टेडियम प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.

पीएम मोदी 16वें ASEAN-इंडिया, 14वें ईस्ट एशिया समिट और तीसरे Regional Comprehensive Economic  Partnership (RCEP) समिट में शिरकत करेंगे. पीएम मोदी गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर एक स्मारक सिक्का भी जारी करेंगे.

यात्रा के तीसरे दिन पीएम मोदी बिजनेस इवेंट और ASEAN-इंडिया में शामिल होंगे. सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने बताया कि कनेक्टिविटी, इकोनॉमिक पार्टनरशिप, साइबर सिक्योरिटी समेत कई मुद्दों पर बातचीत होगी. वहीं ईस्ट एशिया समिट में विभिन्न देशों के प्रमुखों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होगी. इस समिट में पीएम मोदी भी शामिल होंगे.  

आखिर में पीएम मोदी RCEP समिट में शिरकत करेंगे. इसमें 10 ASEAN ग्रुप के मेंबर्स हैं जिसमें ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं. वहीं 6 एफटीए पार्टनर्स भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं.

क्या है RCEP

रीजनल कॉम्प्रीहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) एक ऐसा प्रस्त‍ावित व्यापक व्यापार समझौता है जिसके लिए आसियान के 10 देशों के अलावा 6 अन्य देश-चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्ष‍िण कोरिया, जापान और न्यूजीलैंड के बीच बातचीत चल रही है. इसके लिए बातचीत साल 2013 से ही चल रही है और वार्ता को इसी साल नवंबर तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य है.

क्या होगा इस समझौते से

आरसीईपी के द्वारा सभी 16 देशों को शामिल करते हुए एक 'एकीकृत बाजार' बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिससे इन देशों के उत्पादों और सेवाओं के लिए एक-दूसरे देश में पहुंच आसान हो जाएगी. इससे व्यापार की बाधाएं कम होंगी. साथ ही, निवेश, आर्थ‍िक एवं तकनीकी सहयोग, विवाद समाधान, ई-कॉमर्स आदि को बढ़ावा मिलेगा. इस समझौते के 25 चैप्टर में से 21 को अंतिम रूप दिया जा चुका है.

क्यों महत्वपूर्ण है समझौता

इसे दुनिया का सबसे प्रमुख क्षेत्रीय समझौता माना जा रहा है, क्योंकि इसमें शामिल देशों में दुनिया की करीब आधी जनसंख्या रहती है. इन देशों की दुनिया के निर्यात में एक-चौथाई और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 30 फीसदी योगदान है.

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