ASEAN Summit: PM मोदी की वर्चुअल मौजूदगी, ट्रंप से मुलाकात टली, क्या गहरा रहे हैं भारत-अमेरिका संबंध?

ASEAN Summit - PM मोदी की वर्चुअल मौजूदगी, ट्रंप से मुलाकात टली, क्या गहरा रहे हैं भारत-अमेरिका संबंध?
| Updated on: 25-Oct-2025 09:03 AM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 अक्टूबर को होने वाले 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेंगे। मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम के आमंत्रण पर यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। हालांकि, इस बार प्रधानमंत्री की भौतिक मौजूदगी न होने को लेकर राजनयिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कुछ असहजता देखी जा रही है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया कड़े बयानों के बाद।

ट्रंप से संभावित मुलाकात टली

इस सम्मेलन के बाद मलेशिया में 27 अक्टूबर को होने वाले ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे और ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक अहम द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है, जो अब वर्चुअल भागीदारी के ऐलान के बाद लगभग नामुमकिन नजर आ रही है। अगर यह मुलाकात होती, तो यह दोनों नेताओं को हालिया मतभेदों पर चर्चा करने और संबंधों को फिर से पटरी पर लाने का अवसर प्रदान करती, लेकिन अब यह मौका गंवा दिया गया है।

भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव और ट्रंप के बयान

दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों में कुछ नीतिगत मतभेद उभरे हैं और हाल के महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर कई कड़े और विवादास्पद बयान दिए हैं, जिनसे दोनों देशों के संबंधों में असहजता देखी जा रही है। उन्होंने भारत और रूस को 'डेड इकोनॉमीज़' (Dead Economies) कहकर निशाना साधा। था और कहा था कि उन्हें साथ डूबने दो, मुझे कोई परवाह नहीं। इसके बाद उन्होंने भारत को 'वेरी बिग एब्यूज़र' (Very Big Abuser) बताते हुए आरोप लगाया कि भारत दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ लगाता है, और यहां तक कि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी भी दी और उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन की गहराई में खो दिया है। ट्रंप के इन बयानों को भारत में अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया गया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में खटास आई है।

वर्चुअल उपस्थिति के कूटनीतिक निहितार्थ

इसी पृष्ठभूमि में इस मुलाकात का न होना या टल जाना, दोनों देशों के समीकरणों को लेकर एक नया संकेत माना जा रहा है। हालांकि, इस बीच प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की फोन पर कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन भौतिक मुलाकात का अपना एक अलग महत्व होता है। राजनयिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की ओर से एक संदेश भी हो सकता है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी देश के कठोर बयानों को स्वीकार नहीं करेगा। यह कदम भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति और आत्म-निर्भरता की ओर इशारा करता है।

घरेलू राजनीतिक प्राथमिकताएं: बिहार चुनाव

दूसरा पहलू घरेलू राजनीति से जुड़ा है। बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना बस आने ही वाली है और प्रधानमंत्री की चुनावी व्यस्तताओं के चलते विदेश यात्रा को राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में टालने का फैसला भी हो सकता है। जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री का घरेलू मोर्चे पर सक्रिय रहना इस वक्त। अधिक प्राथमिकता है, खासकर जब देश के एक महत्वपूर्ण राज्य में चुनाव हो रहे हों। ऐसे समय में, लंबी विदेश यात्रा से बचना एक समझदारी भरा राजनीतिक निर्णय हो। सकता है ताकि वे अपनी पार्टी के प्रचार अभियान पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकें। प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में विदेश मंत्री एस और जयशंकर 27 अक्टूबर को कुआलालंपुर में होने वाले 20वें ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह मंच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि पर केंद्रित है, जहां चीन, अमेरिका, जापान और आसियान देशों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे और जयशंकर की उपस्थिति सुनिश्चित करेगी कि भारत के रणनीतिक हित और दृष्टिकोण इस महत्वपूर्ण मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किए जाएं, भले ही प्रधानमंत्री स्वयं उपस्थित न हों।

आसियान संबंधों का महत्व: एक्ट ईस्ट पॉलिसी

प्रधानमंत्री मोदी की वर्चुअल मौजूदगी के बावजूद भारत का ध्यान आसियान पर केंद्रित है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) की समीक्षा की जाएगी और क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी और डिजिटल भागीदारी पर चर्चा होगी। आसियान भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का एक अहम हिस्सा है, और इस क्षेत्र। के साथ मजबूत संबंध भारत की आर्थिक और रणनीतिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। वर्चुअल भागीदारी सुनिश्चित करती है कि भारत इस महत्वपूर्ण समूह के साथ अपने संबंधों को बनाए रखे और उन्हें मजबूत करे। **कूटनीतिक संतुलन या व्यावहारिक राजनीति? प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम राजनयिक कैलिब्रेशन भी माना जा रहा है। जहां भारत अमेरिका से दूरी बनाए बिना भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का संदेश दे रहा है, वहीं, बिहार चुनावों के ठीक। पहले वर्चुअल उपस्थिति का विकल्प, घरेलू राजनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए संतुलित निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को लेकर सचेत। है, लेकिन साथ ही अपनी राष्ट्रीय और आंतरिक प्राथमिकताओं को भी महत्व देता है। यह एक ऐसा निर्णय है जो एक साथ कई मोर्चों पर संतुलन साधने का प्रयास करता है।

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