PM Modi in Shahdol: PM का कांग्रेस पर वार- 70 सालों में सिकल सेल एनीमिया की चिंता नहीं की

PM Modi in Shahdol - PM का कांग्रेस पर वार- 70 सालों में सिकल सेल एनीमिया की चिंता नहीं की
| Updated on: 01-Jul-2023 05:51 PM IST
PM Modi in Shahdol: मध्य प्रदेश के शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन लॉन्च किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश आज लाखों लोगों का जीवन बचाने के लिए बहुत बड़ा संकल्प ले रहा है. इसका लाभ आदिवासी समाज को मिलेगा. सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है. बिना किसी बाहरी लक्षण के भी इसका कैरियर हो सकता है.

पीएम मोदी ने कांग्रेस की पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 70 वर्षों में कभी इसकी चिंता नहीं हुई. इससे निपटने के लिए कोई ठोस प्लान नहीं बनाया गया, लेकिन आदिवासी समाज की इस सबसे बड़ी चुनौती को हल करने का बीड़ा अब हमारी सरकार ने उठाया है. हमारे लिए आदिवासी समाज सिर्फ एक सरकारी आंकड़ा नहीं है, ये हमारे लिए संवेदनशीलता का विषय है, भावनात्मक विषय है.

सिकल सेल एनीमिया बीमारी होती है आनुवंशिक

पीएम ने कहा कि ये बीमारी परिवारों को भी बिखेर देती है. ये बीमारी आनुवंशिक होती है यानी माता-पिता से ही बच्चे में ये बीमारी आती है. मैंने देश के अलग-अलग इलाकों में आदिवासी समाज के बीच एक लंबा समय गुजारा है. सिकल सेक एनीमिया जैसी बीमारी बहुत कष्टदायी होती है. पूरी दुनिया में इसके जितने मामले होते हैं, उनमें से आधे अकेले हमारे देश में होते हैं.

पीएम मोदी का कहना है कि जब वह पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बने थे, उसके भी बहुत पहले से वह इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. सीएम बनते ही उन्होंने इससे जुड़े कई अभियान शुरू किए दिए थे. उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया से मुक्ति का ये अभियान अमृत काल का प्रमुख मिशन बनेगा. उन्हें पूर्ण विश्वास है कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा यानी 2047 तक हम सब मिलकर एक मिशन मोड में अभियान चलाकर इस सिकल सेल एनीमिया से अपने आदिवासियों और देश को मुक्ति दिलाएंगे.

पीएम ने जापान के वैज्ञानिकों से मांगी मदद

पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद जब वह जापान की यात्रा पर गए तब जापान के वैज्ञानिक से मुलाकात की थी, वे वैज्ञानिक सिकल सेल एनीमिया में गहरा रिसर्च कर चुके थे. उन्होंने उनसे भी मदद मांगी थी. इस बीमारी से लड़ने में सबसे जरूरी है जांच कराना. कई बार तो मरीजों को लंबे समय तक पता नहीं चलता है कि वे इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

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