Ramzan mubarak: देश के कई हिस्सों में चांद दिख चुका है, जिसके साथ ही रमजान के पवित्र माह की शुरुआत भी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देशवासियों को रमजान की मुबारकबाद दी है। कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहे देश के मुसलमान शनिवार को रमजान के पवित्र महीने का पहला रोजा रखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'रमजान मुबारक! मैं सभी की सुरक्षा, कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता हूं। यह पवित्र महीना अपने साथ प्रचुर मात्रा में दया, सद्भाव और करुणा लेकर आए। हम वर्तमान में चल रही कोविड-19 के खिलाफ जंग में जीत हासिल करें और एक स्वस्थ ग्रह बनाने में सफलता प्राप्त करें।'
इस साल रमजान भी एक इम्तिहान : यूएन प्रमुखमहामारी के बीच दुनियाभर के मुसलमान इस साल रमजान को बहुत अलग ढंग से देख रहे हैं। मौजूदा हालात में रमजान के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस भी कह चुके हैं कि आतिथ्य और उदारता की इस्लामी परंपरा ऐसे समय में एक सबक है जब संघर्षरत क्षेत्रों के लोगों और संवेदनशील आबादी को गंभीर नतीजे भुगतने पड़ते हैं। गुटेरस ने कहा था, सबसे पवित्र माह रमजान में मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। यह निश्चित रूप से बहुत ही अलग रमजान होगा। स्वाभाविक तौर पर सामुदायिक गतिविधियां प्रभावित होंगी।
क्या है रमजान और इसका महत्वइस्लाम में रमजान का महीना बेहद पाक होता है। इस पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा अनिवार्य रूप से रोजा रखा जाता है। हिजरी कैलेंडर के अनुसार, नौवां महीना रमजान का होता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस महीने रोजा रखने वाले रोजेदारों को कई गुना सवाब मिलता है और उन्हें जन्नत नसीब होती है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।इस्लामिक मान्यता के अनुसार, यह कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों से तौबा करना। इसलिए रमजान में किसी रोजेदार को अपने ईमान को सर्वोपरि बनाए रखना होता है। इस दौरान रोजेदार को किसी के बारे में बुरा भला नहीं कहना चाहिए। इस दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी को झूठा वादा करना चाहिए।