PUNJAB: पंजाब में अफसरों को नहीं मिलेंगे फ्री में बर्फी और पनीर के पकौड़े, जानिए वजह

PUNJAB - पंजाब में अफसरों को नहीं मिलेंगे फ्री में बर्फी और पनीर के पकौड़े, जानिए वजह
| Updated on: 15-Oct-2022 10:20 PM IST
पंजाब सिविल सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में फिजूल खर्च पर पाबंदी लगाते हुए आदेश जारी किया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों और कर्मचारियों को अब मुफ्त में बेसन की बर्फी और पनीर के पकौड़े नहीं मिलेंगे। यही नहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय में किसी अधिकारी से मिलने आए व्यक्ति को सिर्फ चाय और बिस्कुट ही खिलाए जाएंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में आदेश पत्र जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की विभिन्न शाखाओं में काम करने वाले सुपरिंटेंडेंट और सुरक्षा अधिकारी अब सिर्फ चाय-बिस्कुट के लिए ही पर्ची भर सकेंगे। 

मनप्रीत बादल ने बंद करवाए थे चाय-पकौड़े 

राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान समय वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी खर्चों में कटौती करते हुए अपने कार्यालय के बाहर नोटिस लगा दिया था कि कृपया चाय पिलाने को न कहें। उन्होंने अपने कार्यालय में चाय-पकौड़े भी बंद करवा दिए थे। 

पंजाब पर 2.63 लाख करोड़ रुपए का कर्ज

पंजाब इस समय भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस साल जून में बजट सत्र से पहले मान सरकार ने विधानसभा में राज्य की वित्तीय हालत पर 73 पन्नों के श्वेत पत्र में कहा था कि पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पेश किए दस्तावेज में राजकोषीय गड़बड़ी के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया था। दस्तावेज में कहा गया था कि पंजाब की पिछली सरकारें जरूरी सुधारों को लागू करने की बजाय राजकोषीय लापरवाही ही बरती। पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपए है, जोकि जीडीपी का 45.88 फीसदी है। राज्य के मौजूदा कर्ज के हालात देश में सबसे खराब हैं। 

हालत सुधारने की कोशिश में आप सरकार

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार खर्चों में कटौती कर राज्य की आर्थिक हालत सुधारने की कोशिश में है। इस संकट से राज्य को उबारना मान सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए सरकार हर छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा कदम उठा रही है। हाल ही में पंजाब में एक विधायक एक पेंशन स्कीम लागू की गई थी। अब विधायकों को केवल एक कार्यकाल के लिए ही पेंशन मिलेगी। इस विधेयक पर राज्यपाल की मंजूरी के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट में कहा था कि इस कदम से राज्य सरकार को सालाना करीब 19.53 करोड़ रुपए की बचत होगी। इससे जनता के टैक्स का बहुत पैसा बचेगा, जो जनकल्याण पर खर्च होगा। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा था कि अब नेताओं को मुफ्त की रेवड़ी नहीं दी जाएंगी।

पंजाब सरकार ने केंद्र से मांगा था 1 लाख करोड़ रुपए का पैकेज 

सीएम भगवंत मान ने पंजाब पर बढ़ते कर्ज को लेकर केंद्र सरकार से 1 लाख करोड़ रुपए का पैकेज मांगा था। सीएम पद की शपथ लेने के बाद भगवंत मान 25 मार्च को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मिले थे। इस दौरान उन्होंने पीएम से 1 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की थी। यह मांग ठीक उस समय की गई जब पंजाब में हर घर को बिजली की 300 यूनिट प्रति माह मुफ्त देने का ऐलान किया था। वहीं, रिजर्व बैंक की एक स्टडी में बताया गया था कि पंजाब देश के उन 5 राज्यों में शुमार है, जहां आर्थिक संकट गंभीर है। स्टडी में चेताया गया था कि अगर मुफ्त सुविधाओं वाली योजनाएं आगे जारी रही तो यह संकट और भी गहरा सकता है। सत्ता में आने के बाद मान सरकार ने तीन महीने बाद 8 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। हालांकि आप सरकार ने 10,500 करोड़ रुपए का कर्ज उतारा भी है।

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