देश: हिमाचल के पहाड़ों पर देर रात गरजा राफेल, प्रैक्टिस के साथ हथियारों की हो रही टेस्टिंग

देश - हिमाचल के पहाड़ों पर देर रात गरजा राफेल, प्रैक्टिस के साथ हथियारों की हो रही टेस्टिंग
| Updated on: 11-Aug-2020 07:50 AM IST
नई दिल्ली। हाल ही में इंडियन एयरफोर्स (IAF) में शामिल हुए पांच राफेल (Rafale) फाइटर जेट ने आसमान में अपनी दहाड़ लगानी शुरू कर दी है। फ्रांस (France) से भारत (India) पहुंचे राफेल फाइटर जेट ने रात के समय हिमाचल (Himachal) के पहाड़ों पर उड़ान भरी। इन फाइटर जेट की प्रैक्टिस इसलिए की जा रही है ताकी जरूरत पड़ने पर ये लद्दाख में वास्तवित नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एयर-टु-एयर मिसाइल और एयर टु ग्राउंड मिसाइलों के साथ दुश्मन को तबाह कर सकें।

बता दें कि भारत की सरजमीं पर 29 जुलाई को उतरे राफेल फाइटर जेट इन दिनों अंबाला एयर पर किसी भी ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगले साल तक मिलने वाले सभी 36 राफले में से 18 अंबाला तो 18 राफेल जेट भूटान सीमा पर हासिमारा एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे। बता दें कि भारत ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 लड़ाकू राफेल जेट खरीदे हैं, जिनमें से 5 विमान भारत को मिल चुके हैं।

राफेल जेट के हिमाचल के आसमान में प्रैक्टिस के बारे में जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि अभी इन विमानों को एलएसी से दूर रखा जा रहा है ताकि अक्साई चीन में तैनात पीएलए के रडार इसके फ्रीक्वेंसी सिग्नेंचर को ना पहचान सकें। क्योंकि खराब स्थिति में वे इनका इस्तेमाल जैम करने के लिए भी कर सकते हैं। मिलिट्री एविएशन के एक्सपर्ट बताते हैं कि राफेल में खूबी है कि वह सिग्नल फ्रीक्वेंसी को बदल सकता है। अगर हिमाचल में राफेल को प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसकी सिग्नल फ्रीक्वेंसी को बदलकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।


चीन ने पहाड़ों पर लगाएं हैं रडार

मिलिट्री एविएशन से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि बेहतर और सटीक सूचना हासिल करने के लिए पीएलए ने अपने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस रडार्स अक्साई चीन के पहाड़ों पर लगा रखे हैं। पीएलए के एयरक्राफ्ट डिटेक्शन रडार काफी बेहतर हैं क्योंकि उन्हें अमेरिकी एयरफोर्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है।


राफेल की खासियत इसे बनाती है औरों से अलग

भारत के राफेल की खासियत है कि लड़ाकू विमान एयर-टु-एयर मिटियोर मिसाइल, एमआईसीए मल्टी मिशन एयर टु एयर मिसाइल और क्रूज मिसाइलों से लैस हैं। इसमें लगी आधुनिक तकनीक पायलट को दूर से ही हमले की जानकारी दे देती हैं। मिटियोर मिसाइलें का नो-एस्केप जोन मौजूदा मीडियम रेंज एयर-टु-एयर मिसाइलों से तीन गुना अधिक है। ये मिसाइलें 120 किलोमीटर तक टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती हैं।

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