Rajasthan: गहलोत सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री धारीवाल को हाई कोर्ट ने थमाया नोटिस, यहां पढ़ें क्या है पूरा मामला

Rajasthan - गहलोत सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री धारीवाल को हाई कोर्ट ने थमाया नोटिस, यहां पढ़ें क्या है पूरा मामला
| Updated on: 02-Jul-2020 07:31 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजस्थान सरकार के यूडीएच एवं विधि मंत्री शांतिलाल धारीवाल (Shantilal Dhariwal) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहंती (Chief Justice Indrajit Mahanti) की खण्डपीठ ने बुधवार को मंत्री शांति धारीवाल को नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट ने गणेश चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर यह नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने मंत्री के साथ ही स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक, जयपुर नगर निगम के आयुक्त और नियुक्ति पाने वाले सेवानिवृत अधिकारी से भी जवाब तलब किया है.


यह है पूरा मामला

याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड अधिकारी महावीरप्रसाद स्वामी ने 5 अगस्त, 2019 को स्वायत्त शासन विभाग में विधि सलाहकार की नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. उसी दिन मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने राज्य के विधि मंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी. इसके अगले दिन विभाग ने महावीरप्रसाद स्वामी के नियुक्ति के आदेश भी जारी कर दिए. याचिका में स्वामी की नियुक्ति को नियम विरूद्ध बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की गई है.


एक माह में बनाया लॉ डायरेक्टर

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने बताया कि पहले तो महावीरप्रसाद स्वामी के आवेदन पर एक ही दिन में कार्रवाई करते हुए उन्हें स्वायत्त शासन विभाग में विधि सलाहकार के रूप में नियुक्ति दे दी गई. प्रत्येक माह उन्हें 50 हजा़र रुपए वेतन के रूप में भी दिये जा रहे हैं. उनकी नियुक्ति के एक माह के भीतर ही उन्हें 30 अगस्त, 2019 को जयपुर नगर निगम में विधि निदेशक के पद का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंप दिया गया जो कि पूरी तरह से मनमाना और नियम विरूद्ध कृत्य है.


सीएम से नहीं ली गई मंजूरी

याचिका में महावीरप्रसाद स्वामी की नियुक्ति को चुनौती देने का आधार राजस्थान सिविल सर्विस पेंशन नियम-1926 को बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि नियम-151 और 164-ए के अनुसार स्थायी पद पर 65 साल से अधिक आयु वाले व्यक्ति की पुन:नियुक्ति नहीं की जा सकती है. जबकि महावीरप्रसाद स्वामी जुलाई 2018 में ही 66 साल के हो गए थे. उनकी नियुक्ति के मामले में मुख्यमंत्री के स्तर पर भी कोई मंजूरी नहीं ली गई है. जबकि प्रशासनिक सुधार विभाग के 31 मई, 2019 के आदेश के अनुसार राज्य सरकार के किसी भी विभाग में कंसलटेंट की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति आवश्यक है. स्वामी की नियुक्ति से पहले विधि सलाहकार की नियुक्ति के लिए कोई आवदेन भी नहीं मांगे गए और ना ही किसी तरह की कोई प्रक्रिया अपनाई गई.

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