Election Commission: राजस्थान में 'वोट काटने' के आरोप पर घमासान, प्रशासन ने दिया कांग्रेस को जवाब

Election Commission - राजस्थान में 'वोट काटने' के आरोप पर घमासान, प्रशासन ने दिया कांग्रेस को जवाब
| Updated on: 20-Nov-2025 08:05 AM IST
राजस्थान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है और कांग्रेस पार्टी ने राज्य प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद जयपुर जिला प्रशासन ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट किया है। यह मामला राज्य की चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठा रहा है, हालांकि प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

कांग्रेस के गंभीर आरोप

मंगलवार, 18 नवंबर की शाम को कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए जयपुर में मतदाता सूची से नाम हटाने के संबंध में गंभीर आरोप लगाए। पार्टी ने दावा किया कि बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) बिना घर गए और बिना कोई फॉर्म दिए ही पूरे-पूरे परिवारों को वोटर लिस्ट से गायब कर रहे हैं। कांग्रेस ने इसे 'संविधान पर हमला' करार दिया और आरोप लगाया कि एसआईआर का खेल चल रहा है, जिसमें सुनियोजित तरीके से लोगों के नाम काटे जा रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि कारण पूछने पर झूठ बोला जा रहा है और वोट का अधिकार छीनना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इन आरोपों ने राज्य में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया की व्याख्या

कांग्रेस के इन गंभीर आरोपों के तुरंत बाद, जयपुर के जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट ने चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं को लेकर एक पोस्ट के माध्यम से 'फैक्ट चेक' करते हुए स्पष्ट जवाब दिया। प्रशासन ने साफ तौर पर कहा कि अभी तक किसी भी मतदाता का नाम अंतिम रूप से नहीं काटा गया है और न ही कोई वोटर लिस्ट से बाहर हुआ है और यह पूरी प्रक्रिया केवल एक प्रारंभिक सर्वेक्षण का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना है। प्रशासन ने जोर देकर कहा कि सभी प्रक्रियाएं निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार ही की जा रही हैं। प्रशासन ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।

उन्होंने बताया कि गणना प्रपत्र (फॉर्म) भरने की प्रक्रिया अभी 4 दिसंबर तक जारी रहेगी, और यह अंतिम तिथि नहीं है और यह एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें मतदाताओं को अपने विवरण अपडेट करने या नए नाम जोड़ने का पर्याप्त अवसर मिलता है। प्रशासन ने यह भी बताया कि कई घरों में बीएलओ दो बार विजिट कर चुके हैं, लेकिन लोग अनुपस्थित मिले हैं और ऐसे मामलों में, तीसरी विजिट अभी बाकी है। अंतिम विजिट में अगर मतदाता मिल जाते हैं तो मौके पर ही फॉर्म। भरवा लिए जाएंगे, जिससे किसी भी वैध मतदाता का नाम गलती से न कटे।

आगे की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय

प्रशासन ने मतदाता सूची के प्रकाशन और आपत्तियों के निपटान की आगे की समय-सीमा भी बताई। 9 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी और इसके बाद, 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक, किसी का भी नाम जोड़ने या हटाने के लिए ईआरओ (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी) के सामने सुनवाई होगी। इस दौरान संबंधित व्यक्तियों को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सभी मतदाताओं के लिए गणना प्रपत्र ऑनलाइन भरकर जमा करवाने का। विकल्प भी खुला है, जिससे वे घर बैठे ही अपनी जानकारी अपडेट कर सकें। यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया पारदर्शी और सुलभ बनी रहे।

लोकतंत्र में मतदाता सूची का महत्व

मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रीढ़ होती है। इसकी सटीकता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कांग्रेस के आरोप, भले ही प्रशासन द्वारा खंडित किए गए हों, इस बात पर प्रकाश। डालते हैं कि मतदाता सूची संशोधन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जनता का विश्वास कितना महत्वपूर्ण है। प्रशासन द्वारा दी गई विस्तृत जानकारी और सुरक्षा उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि। कोई भी पात्र मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न रहे और पूरी प्रक्रिया निष्पक्षता से संपन्न हो। यह विवाद, अंततः, मतदाता सूची को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक कदम हो सकता है।

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