Raksha Bandhan 2020: रक्षा बंधन आज, शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षा बंधन, यह है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
Raksha Bandhan 2020 - रक्षा बंधन आज, शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षा बंधन, यह है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
|
Updated on: 03-Aug-2020 09:56 AM IST
Delhi: रक्षा बंधन पर आज सोमवार और पूर्णिमा का योग भगवान महादेव की विशेष कृपा दिलाएगा। इस बार रक्षा बंधन पर शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षा बंधन आ रहा है। सर्वार्थ-सिद्धि योग आयुष्मान योग के चलते दीर्घायु का वर प्रदान करेगा। इस बार भद्रा और राहुकाल 9.30 से पहले ही समाप्त हो रहे हैं। इस योग में भाई-बहन की सभी इच्छाएं पूरी होंगी। राहुकाल प्रातः 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक। आज सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा पूर्णिमा तिथि रात्रि 09 बजकर 29 मिनट तक उपरांत प्रतिपदा तिथि का आरंभ यहां जानें सुबह, दोपहर, शाम के राखी बांधने के सभी शुभ मुहूर्त: राखी बंधन का मुहूर्तशुभ योग : सुबह 9:31 से 10:46 तकअभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 से 12:53 तकअपराहन मुहूर्त : दोपहर 1:48 से शाम 4:29 तकलाभ मुहूर्त : दोपहर 3:48 से शाम 5:29 तकसंध्या अमृत मुहूर्त : शाम 5:29 से 7:10 तकप्रदोष काल : शाम 7:06 से रात 9:14 तक ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत बताते हैं कि रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के साथ-साथ सावन का आखिरी सोमवार होगा। इसके अलावा, पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इससे रक्षाबंधन के दिन की शुभता बहुत बढ़ जाएगी। पंडित विनोद त्रिपाठी कहते हैं कि इस दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा रहेगी। सभी बहनें सुबह 9:28 पर भद्रा समाप्त होने के बाद ही अपने भाइयों को राखी बांधें। भद्रा की समाप्ति के साथ साथ ही सोमवार का राहुकाल भी निकल चुका होगा। ज्योतिषविद भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षाबंधन आ रहा है। इसमें आयुष्मान योग को सर्वार्थ सिद्धि योग बुधादित्य योग व शनि चंद्र के मिलन से विश्व योग यानी चतुर्योग बन रहे हैं।पुराणों में यह है कथा: ऐसी कथा है कि एक समय जब इंद्र युद्ध में दानवों से पराजित होने लगे तो उनकी पत्नी इन्द्राणी ने एक रक्षा सूत्र इंद्र की कलाई पर बांधा था जिससे इंद्र को विजय प्राप्त हुई थी। देवासुर संग्राम में देवी भगवती ने देवताओं के मौली बांधी थी। तभी से रक्षा सूत्र बंधने की यह परंपरा चली आ रही है। थाली सजा लें: राखी बांधने से पहले राखी की थाली सजाएं। इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें। इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें, फिर भाई को मिठाई खिलाएं। राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिएराखी बांधते समय इस मंत्र का करें जाप ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।ज्योतिषाचार्य पीके युग के मुताबिक सावन की पांचवीं सोमवारी पर श्रावणी पूर्णिमा , बुधादित्य योग,विषयोग व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। पूर्णिमा के देवता चंद्रदेव हैं और सोमवार के भगवान शिव हैं। भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा विराजमान हैं। वहीं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ही देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। यह संयोग शुभ फलदायी है। इससे इस सोमवारी को जिन श्रद्धालु की कुंडली में विष योग, ग्रहण योग और केमद्रुम योग है उन्हें भगवान शिव की आराधना करने से इन ग्रहों से मुक्ति मिलेगी।
Disclaimer
अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।