Reserve Bank of India: RBI का 'ऑपरेशन गोल्ड': 6 महीने में 64 टन सोना भारत वापस, विदेशी तिजोरियों से उठा भरोसा?

Reserve Bank of India - RBI का 'ऑपरेशन गोल्ड': 6 महीने में 64 टन सोना भारत वापस, विदेशी तिजोरियों से उठा भरोसा?
| Updated on: 29-Oct-2025 09:15 AM IST
दुनिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता के बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की रणनीतिक संपत्ति को सुरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 'ऑपरेशन गोल्ड' के तहत, केंद्रीय बैंक ने मार्च से सितंबर के बीच, यानी सिर्फ। छह महीनों में, विदेशों में रखा अपना 64 टन सोना भारत वापस मंगा लिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कई देशों की विदेशी संपत्ति को वैश्विक संघर्षों के दौरान जब्त किया गया है, जिसने केंद्रीय बैंकों को अपनी कीमती धातुओं की सुरक्षा पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। भारत अब अपनी बहुमूल्य संपत्ति को विदेशी धरती पर रखने का जोखिम। नहीं लेना चाहता, बल्कि इसे अपनी सीमाओं के भीतर सुरक्षित करना चाहता है।

सोना 'घर वापसी' का कारण

इस 'गोल्ड-घर वापसी' के पीछे एक ठोस और तात्कालिक कारण है जो वैश्विक मंच पर बदलती राजनीतिक गतिशीलता से जुड़ा है और हाल के वर्षों में दुनिया ने ऐसे कई वाकये देखे हैं, जिन्होंने विदेशी तिजोरियों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद। की घटनाओं ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। इन दोनों ही मामलों में, पश्चिमी देशों के G-7 समूह ने रूस और अफ़ग़ानिस्तान के अरबों डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को ज़ब्त कर लिया था। यह एक ऐसी अभूतपूर्व कार्रवाई थी जिसने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को अपनी। संपत्ति की सुरक्षा और संप्रभु नियंत्रण के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।

भारत के कुल स्वर्ण भंडार पर एक नज़र

दुनिया भर में बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल, व्यापार युद्ध और भू-रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने 'वित्तीय युद्ध' के खतरे को बढ़ा दिया है। ऐसे माहौल में, किसी भी देश के लिए यह डर पैदा हो गया है कि यदि उसके राजनीतिक मतभेद किसी प्रभावशाली देश से होते हैं, तो वह उसके ही पैसे को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है या उसे फ्रीज कर सकता है। सोना, जो किसी भी देश की सबसे सुरक्षित और सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत संपत्ति मानी जाती है, को अपनी ज़मीन पर, अपनी तिजोरियों में रखना ही सबसे समझदारी भरा कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि आपातकाल या संकट की स्थिति में देश की संपत्ति पर उसका पूर्ण नियंत्रण बना रहे और rBI ने मार्च 2023 से अब तक कुल 274 टन सोना विदेश से भारत मंगाया है, जो इस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। भारतीय रिज़र्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत तक केंद्रीय बैंक के पास कुल 880 और 8 टन सोना है। इस कदम के बाद, इस कुल भंडार का एक बड़ा हिस्सा, यानी 575. 8 टन सोना, अब भारत की अपनी तिजोरियों में सुरक्षित रखा गया है। यह आंकड़ा मार्च 2024 के अंत के 512 टन से काफी अधिक है, जो दर्शाता है कि पिछले छह महीनों में भारत में सोने के भंडार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 290. 3 टन सोना अभी भी बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास रखा हुआ है। ये दोनों संस्थान परंपरागत रूप से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए सोना रखने का काम करते रहे हैं। साथ ही, 14 टन सोना गोल्ड डिपॉजिट के रूप में रखा गया है।

आर्थिक संप्रभुता और भविष्य की रणनीति

आरबीआई का यह कदम न केवल भारत की वित्तीय संप्रभुता को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक मजबूत संदेश भी देता है। यह दर्शाता है कि भारत अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए किसी भी बाहरी जोखिम को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने सोने को देश में वापस लाकर, आरबीआई भविष्य के किसी भी संभावित। वित्तीय प्रतिबंध या संपत्ति फ्रीजिंग के खिलाफ एक सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है। यह निर्णय भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और वैश्विक भू-राजनीति में उसकी बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह एक दूरदर्शी कदम है जो देश को भविष्य की अनिश्चितताओं से निपटने में मदद करेगा और भारत को एक अधिक आत्मनिर्भर आर्थिक इकाई के रूप में स्थापित करेगा।

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