पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम घोटाला: 47 करोड़ की रिकवरी, केंद्र ने कहा-वेरीफिकशन राज्यों का काम

पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम घोटाला - 47 करोड़ की रिकवरी, केंद्र ने कहा-वेरीफिकशन राज्यों का काम
| Updated on: 16-Sep-2020 06:40 AM IST
नई दिल्ली। तमिलनाडु (Tamilnadu) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम (PM kisan samman nidhi scheme) के फंड से घोटाला करने वालों पर सख्ती शुरू हो गई है, ताकि फिर किसी राज्य में ऐसा न हो। तमिलनाडु की क्राइम ब्रांच सीआईडी ने इस घोटाले को लेकर 10 मामले दर्ज किए हैं और इस मामले में 16 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। जिला और ब्लॉक स्तरीय पीएम किसान लॉग इन आईडी को निष्क्रिय कर दिया गया है। इस मामले में अब तक 47 करोड़ रुपये की रकम वसूल कर ली गई है। बताया गया है कि कुछ कर्मचारियों ने मिलकर इस निधि से 110 करोड़ रुपये गलत तरीके से ऑनलाइन (Online) निकाल लिए थे।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि तोमर का कहना है कि तमिलनाडु के कुछ जिलों में यूजरनेम की जानकारियों को चुराकर कुछ अपात्र लोगों का पीएम किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया गया। विलीपुरम, कलाकुरुचि एवं कुलाडोर जिले में इस अवैध काम में शामिल होने वाले 19 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। ब्लॉक स्तरीय तीन सहायक निदेशकों पर भी सस्पेंड करने का सख्त एक्शन लिया गया है। क्योंकि ये सुपरविजन न करने के उत्तरदायी पाए गए। यही नहीं इन्होंने धोखाधड़ी के बारे में सूचना भी नहीं दी। बता दें कि इस स्कीम में भ्रष्टाचार (Corruption) का यह पहला केस है। योजना के शुरू हुए 20 माह हो गए।

किसानों की पहचान करना राज्यों का काम: केंद्र

केंद्र सरकार ने साफ किया है कि पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत पात्र किसान परिवारों की पहचान करने की पूरी जिम्मेदारी राज्यों की है। बता दें कि इस स्कीम के तहत जिला और कृषि अधिकारियों को 5 फीसदी लाभार्थियों का फिजिकल वेरीफिकेशन करने की पावर है। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कोई काम नहीं दिखता।

पैसा भेजने का क्या है तरीका

केंद्र सरकार किसानों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Scheme) के तहत उनके खाते में एक साल में कुल 6000 रुपये भेजती है। यह 100 फीसदी केंद्र सरकार फंडेड स्कीम है। लेकिन राजस्व रिकॉर्ड का वेरीफिकेशन राज्यों को करना होता है क्योंकि यह स्टेट सबजेक्ट है।

जब राज्य सरकारें अपने यहां के किसानों का डाटा वेरीफाई करके केंद्र को भेजती हैं तब जाकर पैसा भेजा जाता है। केंद्र सरकार डायरेक्ट पैसा नहीं भेजती। बताया गया है कि राज्यों द्वारा भेजे गए आंकड़े के आधार पर पैसा पहले राज्यों के अकाउंट में जाता है। उसके बाद राज्य के अकाउंट से किसानों तक पैसा पहुंचता है।

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