Aditya L1- Mission: आदित्य एल-1 का रिहर्सल पूरा, भारत को सूरज के चक्कर लगाकर आखिर क्या मिलेगा? जानिए

Aditya L1- Mission - आदित्य एल-1 का रिहर्सल पूरा, भारत को सूरज के चक्कर लगाकर आखिर क्या मिलेगा? जानिए
| Updated on: 01-Sep-2023 08:21 AM IST
Aditya L1- Mission: चंद्रयान-3 के सफल मिशन के बाद इसरो अपने नए मिशन के लिए तैयार है. चांद के बाद अब सूर्य की बारी है, शनिवार यानी 2 सितंबर को इसरो द्वारा आदित्य एल-1 सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा. इसका काम सूर्य के चक्कर लगाना होगा, इसकी मदद से इसरो की कोशिश सूर्य का अध्ययन करने की है और वहां से जुड़े रहस्यों को दुनिया के सामने पेश करने की है. इसरो ने लॉन्चिंग से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, इसको लेकर ताज़ा अपडेट क्या है, ये मिशन कैसे काम करेगा, जानिए…

इसरो ने जानकारी दी है कि 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लॉन्च किया जाएगा. इसके लिए रिहर्सल पूरी हो गई है और तमाम चीज़ें अपनी जगह पर हैं, यानी अब सिर्फ लॉन्चिंग के वक्त का इंतज़ार है. सूर्य और पृथ्वी के बीच में एक जगह है जिसे एल-1 पॉइंट कहते हैं, यह सूरज पर नज़र रखने के लिए सबसे अहम जगह है. इसरो अपने आदित्य एल-1 को यहां पर ही स्थापित कर रहा है, ये पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किमी. दूर है.

आदित्य एल-1 मिशन

आदित्य एल-1 भारत का ऐसा पहला मिशन है, जो पूर्ण रूप से सूर्य के अध्ययन के लिए किया जा रहा है. करीब 400 करोड़ रुपये के बजट वाला ये मिशन PSLV-C57 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. ये मिशन अपने साथ कुल 7 पेलोड लेकर जाएगा, जिसमें 4 सूरज का और बाकी 3 एल-1 क्षेत्र का अध्ययन करेंगे.

आदित्य एल-1 से क्या-क्या मिलेगा?

जैसे चांद का अध्ययन करने की होड़ लगी है, ऐसी ही होड़ सूरज का अध्ययन करने की भी है. आदित्य एल-1 सूरज के चक्कर लगाते हुए करीब 5 साल तक एक्टिव होगा, इस मिशन के जरिए सूरज पर आने वाले तूफान, सूरज की बाहरी किरण कोरोना और अन्य गतिविधियों की जानकारी मिलेगी.

इसरो को इस मिशन से न सिर्फ सूरज पर होने वाली भविष्य की गतिविधियों बल्कि यहां पहले जो हो चुका है उसके बारे में भी जानकारी मिलेगी. क्योंकि सूरज से ही पृथ्वी पर काफी काम होता है, ऐसे में उसका अध्ययन भी जरूरी है. भारत के आदित्य एल-1 में अलग-अलग पेलोड तस्वीर लेने, तापमान मापने समेत अन्य काम को अंजाम देंगे.

भारत से पहले अमेरिका, जापान, यूरोप और चीन भी सूरज का अध्ययन कर चुके हैं. यानी भारत ऐसा करने वाला पहला देश नहीं होगा, हालांकि इस ओर भारत का ये पहला कदम जरूर है. क्योंकि हाल ही में इसरो का चंद्रयान-3 इतिहास रच चुका है, ऐसे में पूरी दुनिया की नज़र अब इस मिशन पर भी टिकी हैं.

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