Indian Companies In US: 'रूस से रिश्ता कुबूल नहीं', वो भारतीय कंपनियां जिन्हें किया US ने बैन

Indian Companies In US - 'रूस से रिश्ता कुबूल नहीं', वो भारतीय कंपनियां जिन्हें किया US ने बैन
| Updated on: 02-Nov-2024 10:20 PM IST
Indian Companies In US: हाल ही में, अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक प्रतिष्ठानों को कथित तौर पर सहयोग करने के आरोप में भारत की 15 कंपनियों समेत कुल 275 व्यक्तियों और यूनिट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी वित्त विभाग के अनुसार, ये कंपनियां रूस को एडवांस टेक्नोलॉजी और उपकरण प्रदान कर रही थीं, जिनका उपयोग रूस अपने युद्ध तंत्र को संचालन में कर रहा है। यह कदम उस व्यापक प्रतिबंधों की श्रृंखला का हिस्सा है जिसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने के लिए उठाया है।

भारतीय कंपनियों की सूची

अमेरिकी वित्त विभाग द्वारा जारी की गई सूची में निम्नलिखित भारतीय कंपनियों के नाम शामिल हैं:

  1. आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
  2. डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
  3. एमसिस्टेक
  4. गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड
  5. ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी
  6. इनोवियो वेंचर्स
  7. केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड
  8. खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड
  9. लोकेश मशीन्स लिमिटेड
  10. पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स
  11. आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड
  12. शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड
  13. शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड
  14. श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड
  15. श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड

बैन का आधार

इससे पहले, अमेरिका ने लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिनका संबंध रूस के लिए यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध को बढ़ावा देने से है। वित्त उपमंत्री वैली अडेयेमो ने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य रूस की युद्ध मशीनरी को आवश्यक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का प्रवाह रोकना है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश इस प्रतिबंध के माध्यम से रूस के खिलाफ अवैध और अनैतिक युद्ध के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति को बाधित करने के लिए अडिग हैं।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत की विदेश मंत्रालय ने इस प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे अमेरिका के अधिकारियों के संपर्क में हैं ताकि मुद्दों को स्पष्ट किया जा सके। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि ये कंपनियां भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं कर रही हैं और उनके संचालन में कोई अवैध गतिविधि नहीं है।

जायसवाल ने कहा, “हमारी समझ यह है कि ये कंपनियां मंजूरी, लेन-देन, और अन्य प्रक्रियाओं का पालन कर रही हैं। इसलिए, हमने अमेरिकी अधिकारियों के साथ संवाद शुरू किया है ताकि इस स्थिति को स्पष्ट किया जा सके।”

निष्कर्ष

यह घटनाक्रम अमेरिका और भारत के बीच तनाव का एक नया अध्याय खोल सकता है, विशेष रूप से तब जब दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियां मौजूद हैं। अमेरिका का यह कदम भारत की कंपनियों के लिए संभावित आर्थिक और व्यापारिक चुनौतियाँ ला सकता है, जबकि भारत अपने कानूनी ढांचे के भीतर काम करने का दावा कर रहा है। अब देखना यह होगा कि यह मामला आगे किस दिशा में जाता है और क्या दोनों पक्ष इस मुद्दे पर संवाद के जरिए कोई समाधान निकाल सकेंगे।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।