देश: Reliance Jio को देना पड़ सकता है आरकॉम के AGR का बकाया, केंद्र के पाले में गेंद
देश - Reliance Jio को देना पड़ सकता है आरकॉम के AGR का बकाया, केंद्र के पाले में गेंद
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Updated on: 18-Aug-2020 09:05 AM IST
Delhi: देश के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपेरटर रिलायंस जियो (Reliance Jio) को भी एजीआर का बकाया देना पड़ सकता है और लगता है कि उसे राहत नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि उसके मुताबिक जियो को एजीआर का बकाया देना चाहिए या नहीं? AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्य) मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिलायंस जियो आखिर रिलायंस कम्युनिकेशस को मिले स्पेक्ट्रम के लिए बकाया एजीआर का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, जबकि वह तीन साल से इसका इस्तेमाल कर रही है। गौरतलब है कि एक समझौते के तहत अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल रिलायंस जियो कर रही है। सरकार अपना रुख स्पष्ट करेजस्टिस अरुण मिश्र की अगुवाई वाली तीन जजों की खंडपीठ ने सरकार यानी दूरसंचार विभाग (DoT) से इस मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है कि जियो को उस स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान करना चाहिए या नहीं जो उसने आरकॉम से लिया है। जियो ने साल 2016 में एक सौदे के द्वारा यह तय किया था कि वह आरकॉम के 17 सर्किल के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल अपनी 4जी सेवाओं के लिए करेगीक्या है मसलाएडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है।दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो। दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए।लेकिन पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ फैसले में कहा था कि उन्हें टेलीकॉम विभाग के मुताबिक एजीआर का बकाया चुकाना ही पड़ेगा। सभी टेलीकॉम कंपनियों का बकाया करीब 1।5 लाख करोड़ रुपये है। क्या है जियो का मसलाइसमें आरकॉम का बकाया भी शामिल था। दूरसंचार विभाग के अनुसार आरकॉम के ऊपर करीब 25,194 करोड़ रुपये का बकाया है। कोर्ट ने इस बकाये का नवीनतम आंकड़ा विभाग से पूछा है, क्योंकि इस पर ब्याज बढ़ता जा रहा है। कोर्ट का यह मानना है कि अब जियो आरकॉम के संसाधन यानी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है, इसलिए उसे एजीआर का बकाया देना चाहिए।हालांकि, सरकार भी इस मामले में सुरक्षित होकर चल रही है और वह यह कह चुकी है कि कोर्ट का जो भी निर्णय होगा उसे स्वीकार होगा। दूसरी तरफ, जियो का कहना है कि वह तो नियम के मुताबिक स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए एसयूसी चार्ज पहले से दे रही है।
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