Rupee Outlook: रुपया कब बनेगा ताकतवर? देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने की भविष्यवाणी
Rupee Outlook - रुपया कब बनेगा ताकतवर? देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने की भविष्यवाणी
भारतीय रुपया मौजूदा समय में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दबाव में है, जिसने देश के आर्थिक विश्लेषकों और नीति निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में इस स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है और भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रुपया अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में एक मजबूत वापसी कर सकता है, जो वर्तमान में जारी गिरावट के बाद एक राहत भरी खबर है।
रुपए की मौजूदा स्थिति और गिरावट के कारण
एसबीआई की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय रुपए पर दबाव यूं ही नहीं बढ़ा है, बल्कि इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। मौजूदा साल में रुपए में करीब 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि इतनी गिरावट। के बावजूद रुपया बाकी करेंसीज के मुकाबले में अस्थिर नहीं है। यह इंगित करता है कि गिरावट के पीछे कुछ विशिष्ट और मजबूत कारण हैं, न कि केवल बाजार की सामान्य अस्थिरता और जानकारों का मानना है कि रुपए पर दबाव बनाने वाले कारक अभी खत्म नहीं हुए हैं, और डॉलर के मुकाबले रुपया जल्द ही 92 के स्तर पर भी दिखाई दे सकता है।अमेरिकी शुल्क का सीधा प्रभाव
एसबीआई की रिपोर्ट में रुपए की कमजोरी का एक प्रमुख कारण। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क को बताया गया है। अमेरिका ने 2 अप्रैल, 2025 से सभी अर्थव्यवस्थाओं पर बड़े पैमाने पर शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद से भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 5. 7 फीसदी कमजोर हुआ है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिकी शुल्क। का भारतीय मुद्रा पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद बनने के कारण बीच-बीच में रुपए में मजबूती के दौर भी आए, लेकिन समग्र प्रवृत्ति गिरावट की ही रही है। रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि भारत पर लगाया गया यह 50 फीसदी। शुल्क रुपए के एक्सचेंज रेट में मौजूदा गिरावट के पीछे प्रमुख कारणों में से एक है।विदेशी निवेशकों की निकासी और पूंजी प्रवाह में कमी
रुपए की कमजोरी का एक और बड़ा कारण विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी की निकासी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के साथ निवेशकों का बड़ा पूंजी प्रवाह अब बीते दिनों की बात है। पिछले रुझान बताते हैं कि वर्ष 2007 से वर्ष 2014 के दौरान, विदेशी निवेशकों की निकासी औसतन 162. 8 अरब डॉलर थी, जबकि वर्ष 2015 से वर्ष 2025 (अब तक) से, पोर्टफोलियो प्रवाह 87. 7 अरब डॉलर यानी बहुत कम रहा है। यह तुलनात्मक विश्लेषण दर्शाता है कि 2014 से पहले पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह अधिक रहने से रुपए में उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है और व्यापार सौदों में देरी के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते अब ऐसी स्थिति नहीं है, जिससे पूंजी प्रवाह पर नकारात्मक असर पड़ा है।वैश्विक अनिश्चितताओं का बढ़ता दबाव
'रुपये पर भरोसा' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि हालांकि अप्रैल 2025 से भू-राजनीतिक जोखिम सूचकांक में कमी आई है, लेकिन अप्रैल-अक्टूबर 2025 के लिए सूचकांक का मौजूदा औसत मूल्य इसके दस साल के औसत से कहीं अधिक है और यह तथ्य इस बात पर जोर देता है कि वैश्विक स्तर पर व्याप्त अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं। इन अनिश्चितताओं में बढ़ते संरक्षणवाद और लेबर सप्लाई में आए झटके भी शामिल हैं, जिनसे निपटने में भारत ने उल्लेखनीय मजबूती दिखाई है, लेकिन फिर भी इनका मुद्रा पर असर पड़ा है।आरबीआई का हस्तक्षेप और विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपए की गिरावट को रोकने और बाजार। में स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया है। घरेलू मुद्रा को 90 से 91 प्रति डॉलर तक पहुंचने में सिर्फ 13 दिन लगे, जो गिरावट की तेजी को दर्शाता है। हालांकि, बुधवार को रुपए में तेजी से सुधार हुआ और यह डॉलर के मुकाबले 55 पैसे बढ़कर 90. 38 पर बंद हुआ, जो आरबीआई के हस्तक्षेप का परिणाम हो सकता है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 में 703 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन 5 दिसंबर, 2025 को समाप्त सप्ताह में यह घटकर 687. 2 अरब डॉलर रह गया। इस कमी का मुख्य कारण बाजार से पूंजी की निकासी और एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में संभावित हस्तक्षेप है और रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक ने जून-सितंबर के दौरान विदेशी मुद्रा एक्सचेंज मार्केट में लगभग 18 अरब डॉलर का हस्तक्षेप किया है।एसबीआई की भविष्य की भविष्यवाणी
एसबीआई के अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि रुपया वर्तमान में मूल्य में गिरावट के दौर से गुजर रहा है, लेकिन इस दौर से बाहर निकलने की संभावना है और बैंक का मानना है कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपये में जोरदार उछाल आने की संभावना है। यह भविष्यवाणी उन निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए आशा की किरण है जो भारतीय मुद्रा की स्थिरता और मजबूती को लेकर चिंतित हैं। यह दर्शाता है कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित ताकत और आरबीआई के प्रभावी प्रबंधन से रुपया अंततः अपनी खोई हुई ताकत वापस पा सकता है।