Luna-25 Crash: रूस का दोबारा चांद फतह करने का सपना टूटा... आखिर कैसे क्रैश हो गया रूस का लूना-25?

Luna-25 Crash - रूस का दोबारा चांद फतह करने का सपना टूटा... आखिर कैसे क्रैश हो गया रूस का लूना-25?
| Updated on: 20-Aug-2023 11:32 PM IST
Luna-25 Crash: रूस के लिए रविवार का दिन काफी निराशाजनक रहा. 47 साल बाद पहली बार चांद को ‘जीतने’ का सपना संजोए रूस को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब उसका मून मिशन फेल हो गया. रविवार दोपहर लूना-25 मिशन चांद की जमीन पर क्रैश हुआ और इस तरह चांद पर पहुंचने पर रूस का सपना टूट गया. एक वक्त अंतरिक्ष में महाशक्ति के तौर पर जाने जाने वाला रूस अब अपनी बादशाहत खो चुका है. लूना-25 मिशन के फेल होने के बाद तो ये बातें और भी ज्यादा उठ रही हैं.

रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोमोस के अधिकारियों ने बताया कि मानवरहित लूना-25 स्पेसक्राफ्ट बेकाबू होकर चंद्रमा की सतह से टकरा गया. सोमवार को लूना को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर वह इसे अंजाम देने से पहले ही क्रैश हो गया. लूना को चांद के साउथ पोल पर लैंड करना था. चंद्रमा के इस हिस्से में आज तक किसी भी देश की स्पेस एजेंसी ने अपने स्पेसक्राफ्ट को लैंड नहीं किया है. आइए जानते हैं कि आखिर लूना-25 क्रैश कैसे हुआ.

कैसे क्रैश हुआ लूना-25 मिशन?

रोस्कोमोस ने बताया कि लूना-25 मानवरहित मिशन था. इस मिशन के तहत भेजे गए लैंडर को चांद की सतह पर लैंड होना था. मगर वह लैंडिंग से पहले बेकाबू होकर चंद्रमा की सतह से टकरा गया. स्पेस एजेंसी का कहना है कि लैंडर एक अप्रत्याशित ऑर्बिट में चला गया. फिर चंद्रमा की सतह पर टकराने के साथ ही से क्षतिग्रस्त हुआ. इस तरह रूस का मून मिशन फेल हो गया.

स्पेस एजेंसी ने बताया कि चांद पर लैंडिंग से पहले ऑर्बिट में भेजने के वक्त भी स्पेसक्राफ्ट में समस्या आई थी. शनिवार को स्पेसक्राफ्ट से संपर्क भी टूट गया. रोस्कोमोस ने कहा था कि लूना को असमान्य परिस्थिति का सामना करना पड़ा. ऐसे में ये साफ हो गया था कि लूना को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने में परेशानी आने वाली है. ये बात रविवार को स्पष्ट हो गई, जब लूना क्रैश हो गया.

स्पेस में क्यों पिछड़ रहा रूस?

लूना मिशन का फेल होना रूस के लिए किसी बड़े झटके की तरह है. इससे ये लगने लगा है कि रूस का स्पेस प्रोग्राम अब धीरे-धीरे गर्क में जा रहा है. स्पेस में 1961 में यूरी गागरिन के तौर पर पहले इंसान को भेजने का कारनामा रूस ने ही किया था. मगर अब वह स्पेस में ज्यादा फोकस नहीं कर पा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि रूस ने स्पेस प्रोग्राम पर फोकस करने के बजाय अब पैसा सेना में लगाना शुरू कर दिया है. मिसाइलों, ड्रोन्स जैसे हथियारों को तैयार करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है.

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