Inflation Feb2025: SBI की और सबसे बड़ी भविष्यवाणी, 7 महीनों में लोन EMI होगी 0.75% कम

Inflation Feb2025 - SBI की और सबसे बड़ी भविष्यवाणी, 7 महीनों में लोन EMI होगी 0.75% कम
| Updated on: 14-Mar-2025 06:00 AM IST

Inflation Feb2025: हाल ही में फरवरी 2025 की महंगाई दर के आंकड़े सामने आए हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। महंगाई दर आरबीआई के सहनशीलता स्तर से नीचे पहुंच गई है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल 2025 में आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।

आरबीआई की संभावित नीति और ब्याज दरों में बदलाव

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच होने वाली चार मौद्रिक नीति समितियों (MPC) की बैठकों में कुल 75 बेसिस प्वाइंट (0.75%) की कटौती हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो वर्ष 2025 में आरबीआई का रेपो रेट एक फीसदी की गिरावट के साथ 5.50% तक आ सकता है।

फरवरी 2025 में आरबीआई ने पहले ही 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, और यदि 75 बेसिस प्वाइंट की और कटौती होती है, तो कुल मिलाकर 1% की गिरावट दर्ज होगी। इससे आम जनता को कर्ज और ईएमआई पर राहत मिलने की संभावना है।

महंगाई दर में गिरावट के कारण

एसबीआई रिसर्च इकोरैप के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई 3.9% तक आ सकती है, जबकि पूरे वित्त वर्ष के लिए औसतन 4.7% रहने की उम्मीद है।

महंगाई दर में गिरावट के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  1. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट - फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई 3.6% दर्ज की गई, जो सात महीने के निचले स्तर पर है। इसका मुख्य कारण सब्जियों और खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी गिरावट है।

  2. लहसुन, आलू और टमाटर की कीमतों में भारी कमी - पिछले 20 महीनों में पहली बार सब्जियों की महंगाई नकारात्मक दर्ज की गई। महाकुंभ उत्सव के दौरान लहसुन की खपत में कमी आई, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट देखी गई।

  3. औद्योगिक उत्पादन में मजबूती - जनवरी 2025 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) 5% बढ़ा, जबकि दिसंबर 2024 में यह 3.2% था।

  4. कॉर्पोरेट क्षेत्र की मजबूती - भारत के लगभग 4,000 लिस्टेड कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 6.2% की राजस्व वृद्धि दर्ज की, जबकि EBITDA 11% और शुद्ध लाभ (PAT) 12% बढ़ा।

आयातित महंगाई एक चुनौती

हालांकि घरेलू महंगाई में गिरावट आई है, लेकिन आयातित महंगाई में तेजी देखी गई है। जून 2024 में यह 1.3% थी, जो फरवरी 2025 में बढ़कर 31.1% हो गई। यह वृद्धि कीमती धातुओं, पेट्रोलियम उत्पादों और रासायनिक पदार्थों की उच्च कीमतों के कारण हुई है। इसके अलावा, भारतीय रुपये में गिरावट आने वाले महीनों में महंगाई को प्रभावित कर सकती है।

आर्थिक दृष्टिकोण और संभावनाएं

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अप्रैल और जून 2025 में ब्याज दरों में कटौती की संभावना अधिक है। इसके बाद, अगस्त 2025 के बाद ब्याज दरों में एक और कटौती का दौर अक्टूबर 2025 से शुरू हो सकता है।

अगर महंगाई दर नियंत्रण में रहती है और औद्योगिक उत्पादन और कॉरपोरेट सेक्टर मजबूत बने रहते हैं, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह सकारात्मक संकेत हो सकता है। इससे निवेशकों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा और बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।

निष्कर्ष: फरवरी 2025 की महंगाई दर में गिरावट ने आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर दिया है। यदि आरबीआई अप्रैल 2025 में ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे लोन और ईएमआई में राहत मिलेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, वैश्विक आर्थिक कारक और आयातित महंगाई को भी ध्यान में रखना जरूरी होगा।

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