Karnataka Government: सिद्धरमैया सरकार का ऐतिहासिक फैसला: सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक बोतलें बैन, नंदिनी उत्पादों का उपयोग अनिवार्य

Karnataka Government - सिद्धरमैया सरकार का ऐतिहासिक फैसला: सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक बोतलें बैन, नंदिनी उत्पादों का उपयोग अनिवार्य
| Updated on: 01-Nov-2025 12:23 PM IST
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण और दूरगामी निर्णय लिए हैं। इन फैसलों के तहत, राज्य भर के सभी सरकारी कार्यालयों और आधिकारिक बैठकों में प्लास्टिक की पानी की बोतलों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही, सभी सरकारी कार्यक्रमों और दफ्तरों में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के 'नंदिनी' ब्रांड के खाद्य और डेयरी उत्पादों का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है और यह कदम पर्यावरण को बचाने और राज्य के डेयरी किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

प्लास्टिक बोतलों पर पूर्ण प्रतिबंध

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब से सभी सरकारी कार्यालयों, बैठकों और कार्यक्रमों। में पीने के पानी के लिए केवल पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का ही इस्तेमाल किया जाएगा। यह निर्णय प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या से निपटने और पर्यावरण। पर इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए लिया गया है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पहले भी ऐसे निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन अब इस प्रतिबंध को 'कठोरता से' लागू किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को तत्काल अपने-अपने विभागों में आवश्यक निर्देश जारी करने और नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है और इस पहल का उद्देश्य सरकारी तंत्र में एक स्थायी संस्कृति को बढ़ावा देना है, जिससे अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरणा मिल सके।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

प्लास्टिक की बोतलों पर प्रतिबंध लगाना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और प्लास्टिक कचरा न केवल भूमि और जल प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, बल्कि यह वन्यजीवों और समुद्री जीवन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। सरकारी कार्यालयों में प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करके, सरकार एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है कि वह पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर है। यह कदम प्लास्टिक के एकल-उपयोग को कम करने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है और यह उम्मीद की जाती है कि इससे राज्य में प्लास्टिक कचरे की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आएगी। इसके बजाय, कांच की बोतलें, स्टील के बर्तन या अन्य पुन: प्रयोज्य। सामग्री का उपयोग किया जाएगा, जो दीर्घकालिक रूप से अधिक टिकाऊ विकल्प हैं।

नंदिनी उत्पादों का अनिवार्य उपयोग

प्लास्टिक प्रतिबंध के साथ ही, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने सरकारी बैठकों, कार्यक्रमों और सचिवालय सहित सभी सरकारी कार्यालयों में राज्य की सार्वजनिक संस्था कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के 'नंदिनी' ब्रांड के खाद्य और डेयरी उत्पादों के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब है कि अब इन आयोजनों में चाय, कॉफी, दूध, दही और अन्य डेयरी सामग्री केवल 'नंदिनी' ब्रांड से ही ली जाएगी। यह निर्णय स्थानीय डेयरी उद्योग को सीधे समर्थन देने और राज्य के किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

स्थानीय डेयरी उद्योग को मजबूती

'नंदिनी' ब्रांड कर्नाटक के किसानों और डेयरी सहकारी समितियों के लिए एक जीवन रेखा है। सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में इसके उत्पादों का अनिवार्य उपयोग करके, सरकार सीधे तौर पर राज्य के हजारों डेयरी किसानों को लाभ पहुंचा रही है। यह कदम न केवल 'नंदिनी' ब्रांड की बिक्री और पहुंच को बढ़ाएगा, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा और मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कदमों से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि राज्य के स्थानीय डेयरी उद्योग को भी मजबूती मिलेगी। यह एक ऐसा मॉडल है जहां सरकारी खरीद का उपयोग स्थानीय व्यवसायों और समुदायों को बढ़ावा। देने के लिए किया जा रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का वक्तव्य

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अपने आदेशों को दोहराते हुए कहा, "राज्य भर के सभी सरकारी कार्यालयों और आधिकारिक बैठकों में पीने के पानी। के लिए प्लास्टिक की बोतलों की बजाय पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करने के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इस उपाय को सख्ती से लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। " उन्होंने आगे कहा, "सभी विभागों को सचिवालय सहित बैठकों और आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान सरकारी स्वामित्व वाले कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) के नंदिनी उत्पादों का अनिवार्य रूप से उपयोग करने का निर्देश दिया गया है। " ये बयान सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं कि वह इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करेगी।

कार्यान्वयन और भविष्य की संभावनाएं

सरकार ने सभी विभागों को इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने और प्रत्येक बैठक एवं कार्यक्रम में इन नियमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र स्थापित किए जा सकते हैं कि ये नीतियां केवल कागजों पर न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर भी प्रभावी हों। इन पहलों से कर्नाटक एक हरित और अधिक आत्मनिर्भर राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा और यह उम्मीद की जाती है कि इन निर्णयों से अन्य राज्य सरकारों को भी इसी तरह के पर्यावरण-अनुकूल और स्थानीय-उद्योग-समर्थक नीतियों को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे पूरे देश में सकारात्मक बदलाव आ सके।

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